सच्चे मन से श्री कृष्ण की भक्ति करें तो हमें हर कठिनाइयों से उबारने में मदद करेंगे:इंद्रेश जी महाराज

रांची: टाटीसिलवे के ईईएफ मैदान में शनिवार से श्रीमद् भागवत कथा के पहले दिन कथावाचक इंद्रेश जी महाराज ने भक्तों को आध्यात्मिक अमृत का रसपान कराया।महाराजश्री ने अपने ओजस्वी वाणी से भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत महापुराण केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाली दिव्य ज्योति है। उन्होंने कहा कि यह ग्रंथ हमें सत्य, प्रेम, भक्ति और धर्म का मार्ग दिखाता है। कथा के प्रारंभ में मांगलिक मंत्रोच्चार और संगीतमय भजन ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इंद्रेश जी उपाध्याय ने परिक्षित मोक्ष कथा का सुंदर वर्णन करते हुए बताया कि जीवन में भक्ति और सत्कर्म का विशेष महत्व है। उन्होंने श्रवण, कीर्तन और स्मरण के महत्व को समझाते हुए कहा कि जो व्यक्ति श्रीकृष्ण की कथा सुनता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष का द्वार खुलता है। कथा के दौरान उन्होंने सत्यम, चैतन्य व आनंद के बारे बताते हुए कहा कि भागवत के ये तीन रूप हैं। इन तीनाें रूप के महत्ता के बारे उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि कथा के दौरान कुंभ स्नान के महत्व के बारे भी कहा कि 84 कोष में कहीं भी स्नान करें कुंभ स्नान का पुण्य मिलेगा। उन्होंने कहा कि ज्ञान वैराग्य के बिना भक्ति की परिकल्पना नही कर सकते।
कथा के दौरान महाराज इंद्रेश जी ने बताया कि जीवन में चाहे जो भी मुश्किलें आएं, यदि हम सच्चे मन से भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करते हैं, तो वे हमारे साथ होते हैं और हमें हर कठिनाई से उबारते हैं। भगवान की उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। महाराज इंद्रेश जी इस प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि कैसे भगवान की कथा, जीवन के कठिन समय में भी आत्मविश्वास और शांति का कारण बन सकती है।
कथा के पहले दिन व्यास इंद्रेश जी महाराज की श्रीमुख से भागवत कथा सुनने के लिए 8000 से अधिक भक्तों की विशाल भीड़ उपस्थित रही। यह दृश्य अत्यंत भव्य और भक्तिपूर्ण था, जहां सभी श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को बड़े श्रद्धा भाव से सुनने के लिए एकत्रित हुए। कथा के दौरान वातावरण में भक्ति की गूंज थी, और सभी भक्त गहरी श्रद्धा और समर्पण के साथ कथा का लाभ ले रहे थे। यह आयोजन एक अद्भुत धार्मिक अनुभव था। भक्तों ने भावपूर्ण भजनों और प्रवचनों का रसपान कर स्वयं को धन्य महसूस किया।

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