सनातन धर्म में हरतालिका तीज पर्व का बहुत अधिक महत्व है

रांची: विश्व हिंदू परिषद सेवा विभाग एवं राष्ट्रीय सनातन एकता मंच के प्रांतीय प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि सनातन धर्म मे हरतालिका तीज पर्व का बहुत अधिक महत्व है, इस वर्ष 6 सितंबर दिन शुक्रवार को हरतालिका तीज है, यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रहा है जो की 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा ऐसे मे उदया तिथि के आधार पर हरतालिका 6 सितंबर को मनाया जाएगा, इस वर्ष यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर शुक्ल योग बन रहा है।

इस दिन गर, वणिज, करण के साथ हस्त नक्षत्र का संयोग बनेगा। इस दौरान चंद्रमा तुला राशि में रहेगा, ऐसे में पूजा पाठ से जुड़े कार्य करने पर मनमाहे परिणामों का प्राप्ति होता है। हरतालिका व्रत सुहागिन महिलाओं का वर्ष भर का सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रसिद्ध व्रत होता है। इस दिन शिव- पार्वती की पूजा का विधान है इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, तरक्की और सुखी दांपत्य जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती है। तथा कुंवारी कन्याएं अपने भावी जीवन साथी एवं सुखी दांपत्य को प्राप्त करने के लिए करती है। इस दिन महिलाएं अपने-अपने घरों में पूरे विधि विधान से विधिवत पूजा अर्चना करती है। हरतालिका तीज में भगवान शिव माता गौरी और गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इसी तिथि पर महादेव ने माता पार्वती को पत्नी के के स्वरूप स्वीकार किया था। तथा देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी सहेली ने उन्हें अपहरण कर लिया था ताकि वे विवाह न कर सके और इसी के कारण इस व्रत का नाम हरतालिका पड़ा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *