हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले हुआ था

हिंदू धर्म में कलयुग में राम भक्त महावीर हनुमान जी सबसे ज्यादा पूजे जाते हैं। 6 अप्रैल को हनुमान जी का जन्मोत्सव है। कुछ लोग इसे हनुमान जयंती भी कहते है, जो गलत है। दरअसल, जयंती मृत लोगों की मनाई जाती है। जबकि जीवित के लिए जन्मदिन या जन्मोत्सव का इस्तेमाल किया जाता है। चूंकि हनुमान जी अजर-अमर माना जाता है तो जन्मोत्सव ही उचित होगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा पर भगवान राम की सेवा के उद्देश्य से भगवान शंकर के ग्यारहवें रुद्र ने अंजना के घर हनुमान के रूप में जन्म लिया था, इसलिए भगवान श्री हनुमान के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिन्दूओं को विशेष त्योहार है तथा इस को त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। हनुमान जी को भगवान वरूण के नाम से भी जाना जाता है।
ज्योतिषियों के सटीक गणना के अनुसार, हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग के अन्तिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे आज के झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था।
हनुमान जी, श्री राम के परम भक्त थे तथा उनकी भक्ति, निष्ठा व सेवा का सम्पूर्ण वर्णन ‘‘श्री रामायण’’ में किया गया है। श्री हनुमान जी को शक्ति व ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को भूत-प्रेत से छुटकारा चाहिए तो वह हनुमान जी की पूजा अवश्य करता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यदि शनि को शांत करना है तो भगवान श्री हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहिए। ऐसा इसलिए कहा गया है कि जब हनुमानजी ने शनिदेव का घमंड तोड़ा था तब सूर्यपुत्र शनिदेव ने हनुमानजी को वचन दिया है कि उनकी भक्ति करने वालों की राशि पर आकर भी वे कभी उन्हें पीड़ा नहीं देंगे।
इस दिन भक्त हनुमानजी की मूर्ति पर तेल, टीका एवं सिंदूर चढ़ाते है। बहुत लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन जो भी व्यक्ति हनुमानजी की भक्ति और दर्शन करता है, उसके सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। भक्त गण प्रातः काल से ही भगवान हनुमान के पूजा व दर्शन के लिए मंदिरों में जाते है।
इस तरह करें पूजा
हनुमान जन्मोत्सव पर शाम को लाल वस्त्र बिछाकर हनुमानजी की मूर्ति या फोटो को दक्षिण मुंह करके स्थापित करें। खुद लाल आसन पर लाल वस्त्र पहनकर बैठ जाएं। घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती या धूप जलाएं। चमेली तेल में घोलकर नारंगी सिंदूर और चांदी का वर्क चढ़ाएं। इसके बाद लाल फूल से पुष्पांजलि दें। लड्डू या बूंदी का भोग लगाएं। दीपक से 9 बार घुमाकर आरती करें और ऊँ मंगलमूर्ति हनुमते नम: मंत्र का जाप करें।

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