गणादेश ब्रेकिंगः बिजली कंपनियों गहरे फाइनांशियल क्राइसेस में , सैलरी और वेतन के लाले, राज्य सरकार ने सैलरी मद में अब तक नहीं दिया 360 करोड़

12 हजार अफसर-कर्मी सहित पेंशनधारियों को पेंशन और सैलरी देने के लिए फूटी कौड़ी नहीं
आज की तारिख में अफसर-कर्मी और पेंशनधारियों को नहीं मिला सैलरी-पेंशन
रांचीः झारखंड में बिजली व्यवस्था तो पटरी से उतर ही गई है। कभी टीवीएनएल से उत्पादन ठप, तो कभी दूसरे स्त्रोतों से बिजली का नहीं मिलना हर दिन की दिनचर्या में शामिल हो गया है। राज्य में 400 मेगावाट से अधिक बिजली की कमी है। वहीं बिजली कंपनियां गहरे फाइनांशियल क्राइसिसस में चली गई हैं। उधार देने वाला नहीं मिल रहा है। हाल यह हो गया है कि अफसर-कर्मी सहित पेंशनधारियों को वेतन व सैलरी देने के लिए भी फूटी कौड़ी नहीं है। राज्य सरकार से वेतन के मद में मिलने वाले सालाना 360 करोड़ की राशि भी नहीं मिल पाई है। सिर्फ फाइल मूवमेंट की बात कही जा रही है। आज की तारिख तक बिजली कंपनियों के अफसरों-कर्मियों और पेंशनधारियों को पेंशन व सैलरी नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार वेतन व पेंशन निर्गत करने में अभी भी देर होगी। चारों बिजली कंपनियों में लगभग सात हजार पेंशनधारी और लगभग पांच हजार अफसर-कर्मी हैं। बताते चलें कि अफसर-कर्मियों और पेंशनधारियों के वेतन सहित अन्य मदों में 100 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। वहीं बितरण कंपनी का कर्ज बढ़कर 8000 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। इसकी वजह यह भी है कि हर महीने बिजली खरीद सहित वेतन पेंशन सहित अन्य मदों में 650 करोड़ रुपए खर्च होता है। जबकि राजस्व 470 करोड़ रुपए हैं। इस हिसाब से हर महीने 180 करोड़ का नुकसान हो रहा है। टीवीएनएल का 3500 करोड़, डीवीसी का 3500 करोड़, एनटीपीसी का 200 करोड़ रुपए कर्ज है। इसके अलावा अन्य स्त्रोतों से बिजली लेने के एवज में भी करोड़ों रूपए बकाया है।

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