झारखण्ड के नियोजन नीति में मैथिली भाषा को शामिल नहीं करने पर समाज में रोष
रांची : बाबा विद्यापति स्मारक समिति एवं अंतराष्ट्रीय मैथिली परिषद् ने रविवार को एक बैठक हुई। इस बैठक मे झारखण्ड शिक्षक पात्रता परीक्षा हेतु जिला नियोजन नीति में क्षेत्रीय भाषा की सूची में मैथिली को किसी जिला में नहीं जगह मिलने पर झारखण्ड सरकार पर मैथिल समाज के साथ नाइंसाफी का आरोप लगाया है. बाबा विद्यापति स्मारक समिति के अध्यक्ष जयंत झा ने कहा कि मैथिली भाषा संविधान के अष्टम सूची में होने के साथ ही झारखण्ड राज्य के द्वितीय राज्य भाषा की सूची में भी शामिल है. झारखण्ड के नियोजन नीति में मैथिली को शामिल न होने के कारण पुनः समाज के लोग जन जागरण अभियान चला रहे हैं. देवघर, दुमका,गोड्डा पाकुड़, साहेबगंज, जामतारा जिले के साथ साथ रांची, जमशेदपुर, धनबाद एवं बोकारो में बसे लाखों की संख्या में मैथिली भाषी हैं. ज्ञातब्य हो कि पिछले दिनों पुरे झारखण्ड से हजारों लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन महामहिम राज्यपाल महोदय के माध्यम से दी गई है. संचिका अभी कार्मिक बिभाग में बिचाराधीन है. बैठक मे यह निर्णय लिया गया कि सरकार यदि अपने नियोजन नीति में मैथिली को शामिल नहीं करती है तो राज्य के सभी मैथिली संस्था एक साथ मिलकर अपने अपने जिले के उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देंगे. दूसरे चरण में सभी विधायकों को ज्ञापन देंगे. अंतिम चरण में अपनी भाषा की संरक्षण हेतु लोकतान्त्रिक आंदोलन करेंगे. इसकी तैयारी सभी जिला में मिथिला वासी के द्वारा चलाई जा रही है. इस बैठक मे मुख्य रूप से जयंत झा, मृत्युंजय झा, मनोज झा, आंशू झा, ज्ञानदेव झा, अमरनाथ झा, सुबोध झा, पुरनेन्दु ठाकुर, उदित नारायण ठाकुर, राजेश ठाकुर, रमेश भारती, विजय गुप्ता आदि उपस्थित थे.

