एपीपी एग्रीगेट खूंटी में लोहरदगा और जामताड़ा की ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को मिला मशरूम उत्पादन का एक्सपोजर
रांची: पिछले कुछ सालों में किसानों का रुझान पारंपरिक खेती के अलावा, मशरूम की खेती की तरफ़ बढ़ा है। मशरूम एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती कम लागत में और कम जगह में की जा सकती है। पहले मशरूम की फसल को लेकर किसानों में जानकारी का अभाव था, लेकिन अब स्थितियां बदली हैं। अब सरकार भी इसको बढ़ावा दे रही है। झारखंड में जेटीडीएस विभिन्न एनजीओ के माध्यम से मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण महिलाओं को प्रशिक्षण दे रही है। खासकर आदिवासी,जनजाति समुदाय के बीच राज्य के कई जिले में मशरूम बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जेटीडीएस के द्वारा खूंटी के एपीपी एग्रीगेट द्वारा जामताड़ा,लोहरदगा और जमशेदपुर में ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को ट्रेडिंग दिया गया। उसी कड़ी में शनिवार को प्रशिक्षण प्राप्त जामताड़ा और लोहरदगा की ग्रामीण आदिवासी महिलाएं एपीपी एग्रीगेट खूंटी के हुटार पहुंची।
हुटार में मशरूम उत्पादन सेंटर में
मशरूम की अलग अलग किस्मों को देखा और जाना। उनके साथ दोनों जिले के डीपीएम भी थे। यहां पर एपीपी एग्रीगेट के प्रबंधक प्रभाकर कुमार और प्रशिक्षक पूनम सांगा,अनमोल कुमार ने महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रैक्टिकल करवाया। कई सत्रों में महिलाओं को एक्सपोजर दिया गया। महिलाएं भी मशरूम उत्पादन की प्रक्रिया को समझ कर संतुष्ट दिखी।
एपीपी ग्रीगेट के प्रबंधक प्रभाकर कुमार ने कहा कि बाजार में मशरूम की काफी डिमांड है। ग्रामीण महिलाएं यदि ढंग से इसके उत्पादन करे तो अच्छी खासी आमदनी कर सकती है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने लोहरदगा और जामताड़ा जिले में ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को मशरूम बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया था। उनको सारा सामान भी दिया गया था। आज दोनों जिले के महिलाएं एपीपी एग्रीगेट सेंटर में मशरूम उत्पादन को जानने आई हैं। इन लोगों को अलग अलग किस्म के मशरूम उत्पादन को दिखाया गया है। कैसे उत्पादन होता है,कैसे रखा जाता है,तापमान कितना होना चाहिए आदि की जानकारी दी गई है। प्रभाकर कुमार ने कहा कि मशरूम के पापड़, प्रोटीन का सप्लीमेंट्री पाउडर, अचार, बिस्किट, कूकीज, नूडल्स, जैम (अंजीर मशरूम), सॉस, सूप, चिप्स, सेव और भी कई उत्पाद बनाए जाते हैं। मशरूम के पापड़ 300 रुपये प्रति किलो, मशरूम का पाउडर 500 से हज़ार रुपये प्रति किलो, 200 ग्राम के मशरूम अचार की कीमत करीब 300 रुपये, 700 ml की मशरूम सॉस की बोतल 300 से 400 रुपये, मशरूम के चिप्स 1099 प्रति किलो के हिसाब से बाज़ार में बिक जाते हैं।
वहीं जामताड़ा के डीपीएम सचिदानंद ने कहा कि राज्य सरकार जेटीडीएस के माध्यम से ग्रामीण आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समय समय पर प्रशिक्षण देती है। मशरूम उत्पादन से बड़ी संख्या में महिलाएं जुट रही हैं।
लोहरदगा के कृष्णाराम मांझी डीपीएम ने कहा कि आज के एक्सपोजर से महिलाओं को काफी लाभ मिला है।
लोहरदगा की डीपीएमयू नेहा हेलन हेंब्रम ने कहा कि आज हमलोग लोहरदगा की दीदियों को खूंटी में मशरूम उत्पादन को दिखाने लाए हैं। दीदियों के लिए यहां पर बहुत अच्छा एक्सपीरियंस रहा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को मशरूम उत्पादन के लिए मैटीरियल भी फ्री में दिया जा रहा है। मशरूम उत्पादन के बाद बाजार भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। प्रॉडक्ट अच्छा होता है तो गांव स्तर में ही बिक जाता है।
एक्सपोजर लेने आई महिलाओं में मनिता लकड़ा,सुहानी तिग्गा,ललिता तिग्गा, नमिता किस्कू,प्रीति हेंब्रम,संजीव बेसरा,बालिका मुर्मू,बानमती टुडू सहित कई महिलाएं मौजूद थी।