सहरसा जेल रोड में अतिक्रमण हटाओ अभियान

गणादेश ब्यूरो
सहरसा:शहर के पुरानी जेल एवं बटराहा रोड के पूरब किनारे सरकारी भूमि पर दुकान व मकान बनाने वालों के खिलाफ अंचल प्रशासन कहरा द्वारा अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है। अंचल प्रशासन कहरा ने बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम के तहत अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण के समक्ष 6 जनवरी 2022 से चल रहे शिकायत वाद में करीब पांच माह बाद अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी मो.अजमल खुर्शीद ने कई सुनवाई करते हुए 2 जून 2022 को अंतिम विनिश्चय में लोक प्राधिकार प्रतिनिधि के माध्यम से 24 मई 2022 को पत्रांक 1020 के जरिये प्रतिवेदन प्रस्तुत किया ।
अंचल अधिकारी, कहरा को लोक प्राधिकार बनाते हुए प्रतिवेदन की मांग की गई। जिसमे लोक प्राधिकार अपने प्रतिवेदन में अंकित करते हुए कहा कि परिवाद की स्थलीय जाँच संबंधित राजस्व कर्मचारी, अंचल अमीन एवं प्रभारी अंचल निरीक्षक से करायी गयी। प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि मौजा सहरसा, थाना 189 अन्तर्गत खेसरा 330 सरकारी भूमि पर मंदिर एवं मार्केट कम्पलेक्स बनाकर कुछ व्यक्तियों द्वारा अंश भाग का अतिक्रमण कर लिया गया है। अतिक्रमित भूमि पर अतिक्रमण वाद संख्या 01/2022-23 सांस्थित कर कार्रवाई प्रारंभ कर दी गयी है। साथ ही यह भी कहा है कि अतिक्रमणकारियों को अतिक्रमण खाली कराने के लिए नोटिस निर्गत किया गया है एवं अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है।
अब सवाल उठता है कि सरकारी भूमि को अतिक्रमित कर अपना चारागाह बनाने वालों के खिलाफ प्रशासन का बुल्डोजर चलेगा या फिर केवल कागजी खानापूरी कर ही छोड़ दिया जाएगा।

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हमेशा काबिज रहे भू-माफिया

शहर सहरसा में भू-माफियाओं का इस कदर बोलबाला रहा कि पुरानी जेल सहरसा की जमीन पर मंदिर और मार्केट काम्प्लेक्स बनाकर प्रशासन को चुनौती दे दिया गया।
मालूम हो कि सर्वे कार्यालय (पुरानी जेल) मैदान में बजरंगबली का एक छोटा-सा मंदिर और चबूतरा था। पिछले कुछ साल के अन्दर विशाल मंदिर के साथ-साथ दो मंजिला भवन, गेट और किराया लगाने के लिए कई दुकानों का निर्माण करवाया लिया गया। सरकारी भूमि पर इस अवैध निर्माण कार्य की लिखित शिकायत अंचल पदाधिकारी कहरा, सदर एसडीओ सहित जिला पदाधिकारी तक से की गयी। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से समुचित कार्रवाई नहीं की गयी है।
यहां पीपल का कई बड़ा वृक्ष भी था। इन विशाल पेड़ को भी काट दिया गया। सर्वे कार्यालय परिसर में पहले से दो-दो मतदान केन्द्र भी हुआ करता था। अगर पहले से बड़ा मंदिर होता तो यहां मतदान केन्द्र नहीं होता। इस ऐतिहासिक पुरानी जेल में ही कई दशक तक सर्वे विभाग का कार्यालय और अभिलेखागार चलता था और अब भी जमीन संबंधी आवश्यक दस्तावेज इसी कार्यालय में मौजूद है।
जब इस पुरानी जेल से सर्वे कार्यालय और अभिलेखागार अन्यत्र चला गया तो कार्यालय में दलाली करने वाले कुछ भू-माफियाओं ने अंचल अधिकारी व डीसीएलआर सदर सहरसा से सांठगांठ कर जेल की जमीन को मंदिर के नाम करवा लिया। इसके बाद वर्ष 2013 में बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद से ऐनकेन प्रकारेण संबंद्धता करवा कर जमीन को हडप कर न केवल मार्केट कॉम्प्लेक्स बनाया गया और मोटी रकम लेकर बदोबस्ती भी कर दिया गया। निर्मित मंदिर पर बिहार राज्य धर्मिक न्यास परिषद द्वारा निबंधन से 4291/2013 अंकित है। जबकि इस न्यास परिषद में कोई भी स्थानीय निवासी सदस्य नहीं है।

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