डोलड्रम हो गई है झारखंड में बिजली , 10 जिलों में महीने में औसतन 88 से 213 बार ट्रिप करती है बिजली

रांचीः झारखंड की बिजली आपूर्ति व्यवस्था डोलड्रम हो गई है। लगातार हिचकोले मारने के कारण उद्योगों के साथ घरेलू उपभोक्ताओं को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हकीकत यह है कि राज्य के 10 जिलों में महीने में औसतन बिजली 88 से 213 बार ट्रिप करती है. किसी भी जिले में जीरो कट पावर की स्थिति नहीं बन पाई है. गिरिडीह, चतरा, कोडरमा, गुमला, लोहरदगा, साहेबगंज, डालटनगंज, दुमका और गढ़वा में औसतन आठ घंटे ही बिजली मिलती है.
घरेलू उपभोक्ताओं को सलाना 30 करोड़ का नुकसान
वोल्टेज अप-डाउन से घरेलू उपभोक्ताओं को सालाना लगभग 30 करोड़ रुपये का नुकसान होता है. इसका प्रमुख कारण है कि किसी भी जिले में अर्थिंग सही नहीं है. बिजली वितरण निगम का कहना है कि झारखंड पहाड़ी इलाका है इस कारण प्रोपर अर्थिंग नहीं मिलती है. इस समस्या से निजात पाने के लिये आइसोलेटर और वैक्यूम सर्किट ब्रेकर नहीं लगाये गये हैं. अगर ये उपकरण लगाये जाते तो क्षमता से अधिक बिजली मिलने पर ऑटोमेटिक पावर कट हो जाता.
मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होने से भी नुकसान
बिजली की मांग अधिक होने और आपूर्ति कम होने से वोल्टेज अप-डाउन की समस्या होती है. अगर आपूर्ति अधिक हो गई तो हाई वोल्टेज की समस्या होती है. ऐसे में इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट जल जाते हैं. वहीं लो वोल्टेज से भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को नुकसान होता है.
किस उपकरण के जलने पर कितना नुकसान
एसी जला तो कंप्रेशर बनाने व रिफिलिंग कराने पर 9000 से 10000 रुपये खर्च
पंखा जला तो 500 से 800 रुपये खर्च
कूलर का मोटर जला तो 1500 से 2000 रुपये खर्च
रेफ्रीजरेटर जला को कंप्रेशर बनाने में लगभग 5000 से 6000 रुपये खर्च
एलइडी फ्यूज हुआ तो नया लेने पर 90 से 150 रुपये खर्च
किस जिले में प्रतिमाह कितनी बार ट्रिपिंग
रांची- 104 से 169, गुमला-88 से 185, गिरिडीह- 158 से 213, दुमका-142 से 201, देवघर- 171 से 122, गोड्डा- 122 से 139, जमशेदपुर- 114 से 138, बोकारो- 74 से 177, डालटनगंज- 23 से 149 और गढ़वा में 149 से 221 बार ट्रिपिंग होती है.
आखिर इसके लिए जिम्मेवार कौन
प्रोजेक्ट में लेटलतीफी करनेवाले दोषी अफसरों-इंजीनियरों पर कार्रवाई नहीं
अंडरग्राउंड केबलिंग का काम तीन साल में पूरा नहीं, कंपनी को कोई शो-कॉज नहीं
पतरातू पावर प्लांट लगाने में दो साल की देरी, इसका स्पष्ट जवाब सरकार के पास नहीं
ट्रांसमिशन लाइन बनाने में 1310 करोड़ का प्रोजेक्ट 1700 करोड़ का हुआ, अब तक नहीं बना. दोषी कंपनी पर कार्रवाई नहीं
सिकिदिरी हाइडल में हेराफेरी मामले में अब तक कार्रवाई नहीं
टीवीएनएल को समय पर पैसा नहीं देने का भी स्पष्ट जवाब नहीं
सस्ती छोड़ महंगी बिजली खरीदने के मामले पर कार्रवाई नहीं
आरएपीडीआरपी प्रोजेक्ट में लापरवाही बरतनेवाले इंजीनियरों पर भी कार्रवाई नहीं

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