वार्षिक खेल उत्सव में दिव्यांग बच्चों ने लिया भाग, उप प्रमुख अरुण कुमार साबू ने बढ़ाया उनका हौसला
खूंटी: मुरहू प्रखंड के अंतर्गत विकलांग और दिव्यांग बच्चों का मंगलवार को वार्षिक खेल उत्सव का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर उप प्रमुख अरुण कुमार साबू ने किया। बच्चों के खेल में बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के आधार पर बनाया गया थ। उन खेलों का बच्चों ने खूब आनंद उठाया। वहीं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ने बताया की मुरहू प्रखंड में 352 बच्चे दिव्यांग और विकलांग हैं जो विभिन्न हमारे स्कूलों में पढ़ते हैं। वहीं उप प्रमुख अरुण कुमार साबू ने प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से जानकारी मांगी कि बच्चों की मानसिक स्थिति और मन स्थिति का विकास किस प्रकार से करते हैं। इसके साथ ही बच्चों के लिए उनके विकलांगता के आधार पर उन्हें सरकारी मदद से उपकरण की सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही। साथ ही उप सभी विकलांग बच्चों का आयुष्मान के तहत उनका कार्ड बनाने की बात कही। उनके बैंक खातों की जांच उनके खातों में जो सरकार के द्वारा राशि उपलब्ध कराई जाती है। उप प्रमुख ने बच्चों के केयरटेकर बिंदु और झूमर सरकार से बातचीत किया। बच्चों के विकलांगता प्रमाण पत्र की भी जानकारी ली। केयरटेकर ने बताया कि बच्चों का विकलांगता प्रमाण पत्र भी सरकार के द्वारा समय से नहीं बनवाया जा रहा है। जब भी कैंप लगता है, बच्चों को प्रमाण पत्र लेने में बहुत दिक्कत होती है। इस संबंध में प्रमुख ने बताया कि आज त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी को पत्र निर्गत किया जायेगा। अभिलंब ऐसे बच्चों का प्रमाण पत्र के लिए आप कैंप लगे और बच्चों का प्रमाण पत्र बनाएं ताकि उन्हें विकलांगता के तहत मिलने वाले उपकरण को समय से दिलवा सकते हैं। साथ ही बताया गया कि अलेनको कंपनी जो विकलांगों के लिए उपकरण बनती है और सप्लाई करती है उनकी लापरवाही भी इतनी रहती है कि बच्चों के पैर का क्लिपिंग अथवा हाथ का माफी या काम के लिए सुनने वाला यंत्र अथवा चश्मा या अन्य उपकरण जिससे ऐसे बच्चों को अपने शारीरिक विकास के लिए सुविधा मिलती है। उसे सप्लाई करने में 6 से 9 महीने लग जाते हैं। ऐसे में सप्लाई किया गया उपकरण का माप छोटा हो जाता है। बावजूद इसके लैंको कंपनी समय से सप्लाई नहीं कर पाती है। जिससे हमारे यहां के 352 दिव्यांगों का भविष्य भी अधर में रहता है। वह प्रमुख अरुण साबू ने कहा कि स्कूलों में शिक्षा देने में शिक्षक और स्कूलों के बच्चे हमेशा उनके साथ खेलते हैं।