CUET नामांकन प्रक्रिया बाध्यकारी ना बने, अन्य वैकल्पिक व्यवस्था से भी हो नामांकन:आजसू

रांची:अखिल झारखंड छात्र संघ  की रांची विश्वविद्यालय इकाई के द्वारा महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति के नामित मांगपत्र रांची विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा को सौंपा।

अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) का नेतृत्व कर रहे विश्वविद्यालय अध्यक्ष नीतीश सिंह ने कुलपति महोदय को मांगपत्र सौपते हुए कहा कि CUET झारखंड के 03 लाख गरीब छात्रो पर अनावश्यक रूप से किया गया आर्थिक प्रहार है इसके अलावे कोई और प्रत्यक्ष रूप से इसका लाभ नही है।

झारखंड एक पिछड़ा राज्य हैं जहां लाखो गरीब घर के बच्चे झारखंड बोर्ड जैक से पढ़ाई करते है जिनकी थोड़ी सी भी आर्थिक स्तिथि अच्छी होती है वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों से पढ़ाई करवाते है। इस वर्ष जैक बोर्ड की 12वीं के परीक्षा में शामिल छात्रो की संख्या लगभग 03 लाख है।

CUET के परीक्षा में शामिल होने का शुल्क झारखंड के कई विश्वविद्यालयों के नामांकन शुल्क से भी अधिक है। जंहा 1300-1400 रु में नामांकन हो जाता है वही सिर्फ CUET के परीक्षा में शामिल होने के लिए 1500 रु. का शुल्क चुकाना पड़ रहा है। विडंबना तो यह है की CUET के माध्यम से नामांकन प्रक्रिया में जाने के बाद परीक्षा केंद्र अन्य शहरों एवम राज्यों में दिया जा रहा है जो अनावश्यक रूप से छात्र छात्राओं पर आर्थिक बोझ बढ़ा रहा है।

इस एंट्रेंस परीक्षा के बाद फिर से चांसलर पोर्टल के माध्यम से ही नामांकन होना है। लेकिन जंहा इंटर के अंको से मेरिट तैयार की जाती थी वहीं अब CUET के स्कोर कार्ड से मेरिट बनेगी। इंटर में पास होने की अहर्ता मात्र रह जाएगी।

यदि कोई छात्र CUET में अच्छा स्कोर कर जाता है और इंटर में अनुतीर्ण हो जाता है तो उसका नामांकन नही होगा ऐसी स्तिथि में छात्र का पैसा डूब जाएगा।

जंहा जैक बोर्ड और केंद्रीय बोर्ड का अलग सिलेबस होता था वही आज दोनों का सिलेबस एक ही होगा।

इसका परिणाम यही होगा कि दूषित शिक्षा प्रणाली का शिकार जैक बोर्ड के छात्र संसाधन से परिपूर्ण केंद्रीय बोर्ड के छात्रो से पिछड़ जाएंगे और गरीब घर के छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाएंगे।

CUET कंप्यूटर आधारित परीक्षा होगी जिसमें जैक बोर्ड और जमीन क्षेत्र के अनुभवहीन छात्रो को बहुत परेशानी होगी। 

जैक बोर्ड की लचर शिक्षा व्यवस्था और झारखंड के शिक्षा का कमजोर वातावरण में यह अनावश्यक साबित होता है। CUET का मूल मकसद केंद्रीय विश्वविद्यालयों के नामांकनों में एकरूपता ओर समान अवसर के लिए किया गया था। केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नामांकन के लिए बहुत प्रतिस्पर्धा होती इसलिए वहां प्रवेश परीक्षाएं की जाती है किंतु यहां के राज्य विश्वविद्यालयो में सीटें रिक्त ही रह जाती है।  इसलिए CUET को झारखंड में अभी लागू नही किया जाना चाहिए।

यूजीसी के पत्र में CUET के लिए कही भी स्टेट यूनिवर्सिटी को बाध्य नही किया गया हैं बल्कि आमंत्रित किया गया था। किन्तु दुर्भाग्य हैं कि इस राज्य में न तो प्रशासनिक पदाधिकारी और ना ही शिक्षा जगत से जुड़े तमाम पदाधिकारी छात्र छात्राओं के हितकारी निर्णय ले रहे हैं। उन्हें लाखो गरीब छात्रों का ध्यान इसलिए नही है क्योंकि उनके खुद के बच्चे राज्य के बाहर देश – विदेश में पढ़ते हैं। इसलिए राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासकों एवम विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को झारखंड के लाखों गरीब छात्रो अनावश्यक आर्थिक बोझ पड़ने पर रति भर भी चिंता नही होती।

आम छात्र और गरीब जनता समझ नही पा रही है कि किस प्रकार से उन्हें लुटा जा रहा है जिसका लाभ ऐसे पदाधिकारी ओर सरकार उठा रही है।

गरीब परिवार के लोग अपना पेट काटकर अपने बच्चों को पढ़ाते औऱ वैसे छात्रो से अप्रत्यक्ष रूप से अनावश्यक लूट कर रही हैं साथ ही उन्हें उच्च शिक्षा से वंचित करने की साजिश कर रही है।

राज्य सरकार का इसमें सबसे बड़ा दोष है वह प्रत्यक्ष रूप से शिक्षा जगत को अनदेखा कर रही है। किसी भी प्रकार के नए नीति नियमो को लागू करने के लिए राज्य सरकार को चिंतन मंथन करने की आवश्यकता थी और हैं किंतु राज्य सरकार ऐसा कतई नही कर रही है यंहा अफसरशाही शासन चल रहा है।

मांगपत्र के माध्यम से अखिल झारखंड छात्र संघ (आजसू) ने CUET के माध्यम से होने वाली नामांकन पर रोक लगाने की मांग की है। एक बार यदि यहां लागू हो जाती है तो ये हर बार के लिए परंपरा बन जाएगी जो उचित नही है। आजसू छात्र संघ प्रमुखता से इस मामले को उठायेगा ओर आवश्यक आंदोलन भी करेगा।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय अध्यक्ष नीतीश सिंह, उपाध्यक्ष अभिषेक शुक्ला, रोहित चौधरी, बीएस महतो, अमित तिर्की, ऋषभ, राहुल कुमार, मजीत कुमार आदि उपस्थित थे।

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