विश्व आदिवासी दिवस पर खूंटी में पारंपरिक आदिवासी संस्कृति का समागम
खूंटी: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर समृद्ध जनजातीय संस्कृति एवं परंपरा के समावेशन की कुछ झलकियां बुधवार को आयोजित जिला स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रस्तुत की गई।
बिरसा कॉलेज बहुउद्देशीय भवन में आदिवासी महोत्सव सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला स्तरीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपायुक्त लोकेश मिश्रा उपस्थित हुए। कार्यक्रम में गीत – संगीत के माध्यम से संस्कृति एवं विरासत की कुछ झलकियों प्रदर्शित की गई। सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ साथ भाषण प्रतियोगिता के वक्ताओं द्वारा आदिवासी विरासत, इतिहास, उनके अमूल्य योगदान एवं उनकी संस्कृति के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई।
कार्यक्रम की शुरुआत सभी अतिथियों द्वारा बारी बारी से विधिवत दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसे पूर्व कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत पारंपरिक परिधान एवं वाद्य यंत्रों के साथ लोटा पानी से किया गया।
9 अगस्त को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में आभूषण, पारंपरिक परिधान आदि के साथ बिरसा कॉलेज के छात्र -छात्राओं ने विभिन्न प्रस्तुतियां दिखाई।
जिसमें समृद्ध आदिवासी परंपराओं एवं विभिन्नताओं की झलकियां भी देखने को मिली। इसमें बिरसा कॉलेज के विभिन्न विभागों के छात्र – छात्राओं ने मुंडारी नृत्य, नागपुरी लोक नृत्य, सांथली लोक नृत्य, मुंडारी एवं नागपुरी गान की प्रस्तुति की गई।
मौके पर उपायुक्त द्वारा अपने संबोधन में बताया गया कि आदिवासी संस्कृति और परंपरा का अद्भुत समागम हम सभी के लिए प्रेरणादायक है।*
आज के इस दिवस के आयोजन से पूरे देश में भाईचारा परिलक्षित होता है। और इन विचारों का उचित रूप से निष्ठापूर्वक पालन हो रहा है। हमारे झारखंड में 32 जनजाति है। मुझे प्रसन्नता है कि मुझे आदिवासी बहुल क्षेत्र में कार्य करने का अवसर मिला। ये कहावत कि सादा जीवन और उच्च विचार के जीवंत उदाहरणों से हम सभी को प्रेरणा मिलती है।
आदिवासी समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि के क्षेत्र में प्रगति के पथ पर अग्रसर होना है और इन्हीं विकासील कार्यों के लिए हम कृत्संकल्पित हैं। आदिवासी संस्कृति को विश्व भर में और पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है ।
आदिवासी संस्कृति को संजोए रखने, स्वाभिमान को जागृत करने और जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए हमेशा एकत्रित होकर कार्य किया है।
आज के इस अवसर पर छात्र- छात्राओं से आग्रह है कि समुदाय की सभ्यता की पहचान बढ़ेगी जब हम सभी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनायेंगे। आज के वर्तमान समय में आवश्यकता है कि प्रतियोगिताओं के लिए भी हम तैयार हों। हमारे देश का भविष्य हमारे बच्चे जागरूक और शिक्षित बनें।
खेल के क्षेत्र में भी बढ़ावा देने के प्रयास किए जायेंगे। खेल और खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को और उभारने का प्रयास है।
उन्होंने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया है। इसमें अधिक संख्या में युवा खिलाड़ियों ने भाग लिया है जो कि सराहनीय है।
आगे उन्होंने कहा कि छात्र – छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रम बहुत ही सराहनीय है। आज खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया है।
हम सभी के सामूहिक प्रयासों से निश्चित ही व्यापक स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन और विकास के उद्देश्य पूर्ण होंगे।
कार्यक्रम के दौरान अपर समाहर्ता ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस का ये आयोजन इस बात जा परिचायक है कि किस प्रकार हमारी संस्कृति और सभ्यता की महत्ता विश्व भर में प्रसिद्ध है। हम सभी ने देखा है कि आदिवासी गीत – संगीत समूहों में किए जाते हैं। ये इस बात का संदेश है कि हम सभी एक हैं।
मौके पर अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि आदिवासी संस्कृति बहुत समृद्ध है एवं ज्ञान की निरंतरता की ऐसी प्रकार आगे ले जाने हेतु आदिवासी दिवस के अवसर पर हम सभी को इसे और बेहतर रूप में समझने की आवश्यकता है। विश्व आदिवासी दिवस महोत्सव को मानने हेतु हर स्तर पर अपनी भागीदारी कर इस कार्यक्रम को सफल बनाएं।
इसी कड़ी में परियोजना निदेशक, आईटीडीए ने बताया कि आज राज्य भर में विश्व आदिवासी दिवस का भव्य आयोजन किया जा रहा है। खूंटी जिले में भी आज इस दिवस को मनाया जा रहा है। छात्र – छात्राओं द्वारा की जा रही अद्भुत प्रस्तुतियां हम सभी के लिए आज इस दिवस को यादगार बना रही हैं।
कार्यक्रम में बिरसा कॉलेज की प्राचार्य ने कहा कि समाज के तमाम महिला-पुरूष एवं युवा वर्ग संकल्प लें कि अपनी सामाजिक व्यवस्था को विकास की दिशा में अग्रसर रखने के लिए बच्चों को उच्च शिक्षा अवश्य देगें।
इसके साथ ही कार्यक्रम के समापन में विश्व आदिवासी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता के विजेताओं को उपायुक्त एवं अन्य अतिथियों द्वारा ट्राफी एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया।