भ्रष्ट आदिवासी नेताओं का बहिष्कार समय की जरूरत : डॉ. सूरज मंडल

रांची :पूर्व सांसद, वरिष्ठ भाजपा नेता और भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. सूरज मंडल ने कहा है कि, भ्रष्ट, दिशाहीन, पक्षपाती एवं अदूरदर्शी आदिवासी नेताओं का बहिष्कार समय की जरूरत है. डॉ. मंडल ने कहा कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो उन आदिवासियों एवं मूलवासियों का हित हमेशा असुरक्षित ही रहेगा जिनके लिये झारखण्ड का गठन किया गया था.
डॉ. मंडल ने कहा कि वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में एक बार फिर झारखण्ड आंदोलनकारी स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो की वह बात बहुत प्रासंगिक लगती है जब उन्होंने कहा था कि अनेक आदिवासी नेता (ट्राइबल लीडर्स) बिकाऊ एवं भ्रष्ट होते हैं. वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि आज आंदोलनकारी स्वर्गीय महतो की उस बात पर गंभीरता के साथ विचार करने और उसके अनुरूप आदिवासी नेतृत्व में ईमानदारी, पारदर्शिता, दूरदर्शिता और बदलाव लाने की जरूरत है. लेकिन उससे भी बड़ी जरूरत इस बात की है कि झारखण्ड के मूलवासियों के हाथों में झारखण्ड का नेतृत्व सौंपकर उनके अनुभव एवं नेतृत्वक्षमता का भी फायदा उठाया जाये.
डॉ. मंडल ने कहा कि अनेक भ्रष्ट आदिवासी नेताओं ने केवल अपने परिवार का और अधिक-से-अधिक अपने रिश्तेदारों और अपनी जाति के कुछ लोगों का ही विकास किया है और यही कारण है कि पहाड़िया, कोल, महली, खड़िया, हो, बिरहोर, घटवार, खेतौरी जैसी जातियों के लोगों की जैसी दुर्गति हुई है वह दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि विशेष रूप से विलुप्त एवं आदिम जनजाति के लोगों पर सरकार का बिल्कुल भी ध्यान नहीं है और पिछड़े आदिवासी जनजातियों, आदिम जनजातियों आदि के लोगों के विकास के लिये सरकार को अपना पूरा ध्यान देना चाहिये.
डॉ. मंडल ने कहा कि झारखण्ड गठन के बाद अबतक पिछले 23 साल में झारखण्ड के अनेक आदिवासी नेताओं ने अपने,स्वार्थ अदूरदर्शित, भ्रष्टाचार और परिवारवाद का जैसा नंगा प्रदर्शन किया है उसके कारण इस राज्य के लोगों को न केवल अपनी मूलभूत सुविधाओं और आवश्यक जरूरतों से हाथ धोना पड़ा बल्कि, पूरे देश-दुनिया में भी झारखण्ड की बदनामी हुई है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा व कांग्रेस और विशेष रूप से इसके नेताओं के कारण खनन घोटाला, ज़मीन घोटाला, दवा घोटाला, परीक्षा घोटाला जैसे दसियों घोटाले के आरोप इस सरकार पर लगे हैं जिसके कारण झारखण्ड में रहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. डॉ. मंडल ने कहा कि पहले जहाँ झारखण्ड को खानखनिज, प्राकृतिक व मानव संसाधन, जंगल, समृद्ध संस्कृति के साथ ही सीधे-सादे प्रकृति प्रेमी आदिवासियों एवं मूलवासियों का प्रदेश माना जाता था वहीं अब वह पहचान तो बरकरार है लेकिन इसके साथ-साथ कहीं-ना-कहीं, भ्रष्टाचार और परिवारवाद की नयी पहचान झारखण्ड की उस पुरानी पहचान पर हावी होने का प्रयास कर रही है जो हमारे लिये दुर्भाग्य की बात है.

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