सनातन संस्कृति की अखंडता की सुरक्षा के लिए बंदूक और संदूक दोनों आवश्यक:डॉ.बिहारी

अनूप कुमार सिंह
पटना।सनातन संस्कृति की अखंडता को बनाए रखने व राष्ट्र की सुरक्षा के लिए बंदूक और संदूक दोनों की प्रासंगिकता समय की मांग है ।इन दोनों के बिना सनातन संस्कृति व राष्ट्र की सुरक्षा को अच्छुन नहीं रखा जा सकता। यह कहना है महाराणा प्रताप भामाशाह सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पटना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ विनय बिहारी सिंह का।
डॉक्टर विनय बिहारी सोमवार को क्षत्रियों व भामाशाह की एक संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सनातन की अखंडता हिंदुत्व की एकता व राष्ट्र की सुरक्षा के लिए अगर आवश्यकता पड़ी तो बंदूक उठाने में भी कोई गुरेज नहीं करना चाहिए।उन्होंने भामाशाह और महाराणा के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाराणा जब अपने ही लोगों की साजिश के शिकार होकर जंगलों में भटक रहे थे।तो भामाशाह ने ही महाराणा के प्राण की रक्षा कर उनकी कृति गाथा का पताका फहराने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिया। इस प्रकार वर्तमान भामाशाहों को भी राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने संदूक का यथाशक्ति उपयोग करना चाहिए। इस बैठक में बांग्लादेश में हिंदू और हिंदुत्व पर हो रहे प्राण घातक और कातिलाना हमले पर गंभीर आक्रोश व्यक्त किया गया। इसके साथ ही कोलकाता में एक प्र शिक्षणार्थी महिला चिकित्सक के साथ हुए बलात्कार और हत्या की जघन्य वारदात की कठोर शब्दों में निंदा की गई।वहीं डॉक्टर को न्याय मिलने तक अपना संघर्ष जारी रखते हुए,इस मुद्दे पर धारदार संघर्ष का ऐलान किया गया ।महाराणा प्रताप भामाशाह सेना परिवार की कार्यकारणी में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
इस बैठक में डा, बिहारी भैया, डा, अजय प्रकाश, उपेन्द्र कुमार सिंह, गौरव अग्रवाल, अमित कुमार सिंह, राजीव नयन सिंह, बलमा बिहारी, एस एन श्याम, रमेश सिंह, विजय कुमार सिंह, मनीराम सिंह, कौशल किशोर, रविन्द्र कुमार एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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