बिहार निर्यात प्रोत्साहन नीति को मिली मंत्रिपरिषद् की मंजूरी
पटना। राज्य की निर्यात क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से बिहार निर्यात प्रोत्साहन नीति, 2024 बनायी गयी है जिसे मंत्रिपरिषद से मंजूरी मिल गयी है। इस नीति के तहत बिहार में निवेश की संभावनाओं को और बेहतर बनाने तथा राज्य से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पात्र इकाइयों को प्रोत्साहित करने की व्यवस्था की गई है। अधिसूचना की तिथि से पाँच वर्षो तक के लिए लागू होने वाली इस नीति के तहत बंदरगाह या एयरकार्गो टर्मिनल, जिसका निर्यात के लिए उपयोग किया जा रहा है पर फ्री ऑन बोर्ड मूल्य का 1 प्रतिशत, सात वर्षों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष अधिकतम 20 लाख रूपये तक की निर्यात सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा प्रदर्शन आधारित सब्सिडी की व्यवस्था की गई है जिसके तहत यदि निर्यातक पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में निर्यात मूल्य से पचास प्रतिशत या अधिक की बढ़त करता है तो उसे अतिरिक्त फ्री आन बोर्ड मूल्य के एक प्रतिशत या दस लाख रूपये तक की राशि की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
राज्य से निर्यात को सुविधाजनक बनाने तथा निर्यातकों को प्रोत्साहित करने उत्कृष्ट निर्यातकों को निर्यात पुरस्कार देने का फैसला किया गया है। निर्यात हेतु ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए निर्यातकों और वित्तीय संस्थानों के साथ समय-समय पर संवादात्मक सत्र आयोजित करने का फैसला लिया गया है। उद्योग विभाग को विभिन्न निर्यात संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित करने तथा बायर सेलर मीट आयोजित करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।
लेदर एवं टेक्सटाइल नीति अब और भी आकर्षक
राज्य मंत्रिपरिषद ने बिहार औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन (टेक्सटाइल एवं लेदर) नीति, 2022 में संशोधन की भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। संशोधित नीति के अनुसार प्रोत्साहन संवितरण अवधि को पाँच वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष कर दिया गया है। इसके अलावा 30 जून, 2025 तक वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने वाली इकाइयों को प्लांट एवं मशीनरी में निवेश का 30 प्रतिशत (अधिकतम 30 करोड़ रूपये)। पूंजीगत अनुदान की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा इकाइयों को अपने कर्मचारियो के लिए आवास सुविधाओं का विकास पाँच किलोमीटर की परिधि में करने पर कर्मचारी आवास एवं डोरमेट्री आदि की लागत को परियोजना लागत में शामिल करने की इजाजत दी गई है। साथ ही माल भाड़ा प्रतिपूर्ति प्रोत्साहन की ऊपरी सीमा को 10 लाख रूपये प्रतिवर्ष से बढ़ाकर अधिकतम 50 लाख रूपये कर दिया गया है।