गैर जबावदेह नेतृत्व और निरंकुश तंत्र से राज्य को हो रहा बड़ा नुकसान: सुदेश महतो
रांची: सरकार को जिन भावनाओं का सम्मान और समाधान करना था, उन भावनाओं का इन्होंने राजनीतिकरण कर दिया। इनकी नीतियों से राज्य का एक बड़ा वर्ग नाराज है। छात्र, किसान, श्रमिक, नौजवान अलग-अलग रुप से आंदोलन को बाध्य हैं। निश्चित रुप से इस भारी असंतोष और नाराजगी का राजनीतिक रुप से परिणाम आएगा, लेकिन तब तक प्रदेश को बहुत बड़ी क्षति होगी।
लोगों को जागरूक करते हुए तथा जनचेतना का विस्तार कर बड़े आंदोलन की तैयारी में हम जुटे हैं। प्रगतिशील राजनीति के लिए लोगों को गोलबंद करने की एक बड़ी जिम्मेदारी हम सभी पर है।
उक्त बातें झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने धोबिया मोड़, गांडेय में आयोजित जन पंचायत को संबोधित करते हुए कही।
राज्य का नेतृत्व करने वाले की पृष्ठभूमि संघर्ष से जुड़ा नहीं है। कभी भी आम जनमानस के बीच जाकर जनता की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक स्थिति का इन्होंने आंकलन नहीं किया। विकास की बुनियाद आधारित राजनीति से इनका कोई वास्ता नहीं।
सत्तासीन किसी भी विषय को लेकर गंभीर नहीं हैं। आंदोलन के समय से लेकर अब तक ये झारखंडी संसाधनों के संरक्षण की बात करते आए हैं, लेकिन असलियत तो ये है कि जब-जब इन्हें मौका मिला, इन्होंने लूट और दोहन के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए।
सरकार द्वारा जाति, आय, आवासीय प्रमाण पत्र निर्गत करने की तिथि तो निर्धारित कर दी गई है, लेकिन बिना चढ़ावे के कोई कार्य नहीं होता। पंच-पंचायत, ग्राम सभा को लगातार कमजोर करने का प्रयास जारी है। दरअसल इस सरकार ने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना लिया है। गैर जबावदेह नेतृत्व और निरंकुश तंत्र से राज्य को हो बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है।
राज्य की जनता से यह अपील, यह आग्रह है कि सरकार और नेता चुनने से पहले, उसे टटोले ना कि बाद में पछताएं। जनता खुद अपना मानक सेट करें और जो नेता उसमें योग्य साबित हो, उसे चुनें।
सरकार सवा तीन साल से स्थानीय नीति, नियोजन नीति, आरक्षण को लेकर सिर्फ राजनीति कर रही है। अगर जनविषयों को लेकर ये संवेदनशील होते, तो मुद्दों को लटकाने की बजाए, उसका हल ढूंढते। ट्रिपल टेस्ट, जातीय जनगणना को लेकर चुप्पी, सरकार की संकुचित मानसिकता को दर्शाता है।
राज्य की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। अखबारों में ये नियुक्ति और नौकरी की बात करते हैं लेकिन शिक्षा व्यवस्था कैसे सुधरे, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कैसे हो, इसे लेकर चिंतन-मंथन नहीं करते। सरकार के मुखिया को सामने आकर यहां के युवाओं के सवालों का जवाब देना चाहिए। सवा तीन सालों में कितनी नौकरियां मिली, कितने इंडस्ट्री लगे, कितने रोजगार सृजित हुए, इसका आंकड़ा साझा करना चाहिए।
हमने शून्य से राजनीति शुरू की है। नेताओं को तैयार किया है। इस राज्य की चिंता करने वालों की फौज तैयार की है। हमारी जबावदेही बड़ी है। आम आवाम के अभाव को नेतृत्व देने की जिम्मेदारी हम सभी पर है। जन पंचायत के माध्यम से हम हर परिवार तक पहुंचेंगे। जनता की समस्याओं से अवगत होंगे, सरकार के कार्यों का लेखा-जोखा उनतक पहुंचाएंगे। जिन विषयों को सामने रखकर सरकार सत्ता के आई है, उन विषयों को लेकर ये कितने कदम चलें, ये भी बताएंगे। जन पंचायत का मुख्य उद्देश्य आम जनमानस में सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना जागृत करना है।