भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण व राज्य सरकार के बीच समझौते में भागलपुर हवाई अड्डे का नाम नहीं

भागलपुर। उड़ान योजना के तहत बिहार के छह हवाई अड्डों को विकसित करने और वहां से विमान सेवा शुरू करने के प्रस्ताव को बिहार कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इन छह हवाई अड्डों में मधुबनी, सुपौल के बीरपुर, मुंगेर, वाल्मीकिनगर, मुजफ्फरपुर और सहरसा शामिल हैं। उड़ान योजना के तहत इन छोटे हवाई अड्डों के विकास के लिए भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, नई दिल्ली और राज्य सरकार के बीच समझौता हुआ है, जिसके तहत हवाई अड्डों का निर्माण एवं आधारभूत संरचना का विकास किया जाएगा। इन छह हवाई अड्डों से शीघ्र ही घरेलू विमान सेवाएं शुरू होने की संभावना है। इससे संबंधित जानकारी मंगलवार को बिहार सरकार के मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग (वायुयान संगठन निदेशालय) द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी गई।

हालांकि, इस समझौते में भागलपुर हवाई अड्डे का नाम शामिल नहीं है। उड़ान योजना के तहत छह हवाई अड्डों से विमान सेवा शुरू किए जाने की स्वीकृति के बाद, लंबे समय से प्रयासरत भागलपुरवासियों का अपने पुराने हवाई अड्डे से उड़ान भरने का सपना फिर टूट गया है। नए हवाई अड्डे के निर्माण को लेकर भी प्रक्रिया लगातार अनिश्चितता में उलझी रही है। इस बीच, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी समय-समय पर भागलपुर के पुराने हवाई अड्डे को एक छोटे हवाई अड्डे के रूप में विकसित करने और वहां से छोटे विमानों की उड़ान शुरू करने का आश्वासन देते रहे हैं।

सरकार की विज्ञप्ति में कहा गया है कि मधुबनी, वीरपुर, मुंगेर, वाल्मीकिनगर, मुजफ्फरपुर एवं सहरसा हवाई अड्डों को उड़ान (UDAN) योजना के तहत विकसित किया जाएगा। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और राज्य सरकार के बीच हुए समझौते के आधार पर इन हवाई अड्डों का निर्माण एवं आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा। इससे न केवल स्थानीय नागरिकों को हवाई आवागमन की सुविधा मिलेगी, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी बल मिलेगा।

भागलपुर हवाई अड्डा शुरू से ही सियासत का केंद्र रहा है। एक समय तत्कालीन सांसद शाहनवाज हुसैन ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों से विमान सेवा शुरू कराने की पहल की थी, लेकिन तत्कालीन विधायक अश्विनी चौबे ने इसका विरोध करते हुए यहां तक कह दिया था कि वे अपने शव के ऊपर से विमान उड़ने नहीं देंगे। इसके बाद भी कई प्रयास हुए। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने भागलपुर हवाई अड्डे पर विमान उतरने पर लगने वाले कर में भारी कटौती की थी। हवाई अड्डा परिसर में लाखों रुपये की लागत से एक लाउंज भी तैयार किया गया था।

समय-समय पर विमान सेवा शुरू करने को लेकर जमकर राजनीति होती रही। विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में इस मुद्दे को उठाया गया। स्थानीय स्तर पर हस्ताक्षर अभियान और आंदोलन भी चलाए गए, लेकिन सब कुछ केवल एक दिवास्वप्न बनकर रह गया। इस बीच मुख्यमंत्री और कुछ निजी कंपनियों के चार्टर विमान जरूर यहां उतरे, पर आम नागरिकों के लिए कोई विमान सेवा शुरू नहीं हो सकी। और एक बार फिर अंग प्रदेश के लोगों के लिए भागलपुर हवाई अड्डे से उड़ान सेवा शुरू होने का सपना अधूरा रह गया।

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