झारखंड में आयुष्मान से इलाज हो सकता है बंद, 212 अस्पतालों को पिछले 10 महीनों से नहीं हुआ है भुगतान,राज्य सरकार से मांग  

आईएमए अस्पताल बोर्ड ऑफ इंडिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी जानकारी,करोड़ों रुपये राज्य सरकार के पास है बकाया

रांची : झारखंड में 212 निजी अस्पतालों को पिछले 10 महीनों से आयुष्मान भारत योजना का राज्य सरकार से भुगतान नहीं हुआ है। इससे निजी अस्पतालों में राज्य सरकार के प्रति नाराजगी है। गुरुवार को आईएमए हॉल में आईएमए अस्पताल बोर्ड ऑफ इंडिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी है। प्रेस कांफ्रेंस में बोर्ड के चेयरमैन डॉ. अनंत सिन्हा,सेक्रेटरी डॉ. शंभू प्रसाद सिंह,वाइस चेयरमैन अमित मोहन,जॉइन्ट सेक्रेटरी डॉ. लाल मांझी,ट्रेजरर डॉ. राजेश कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि हमलोगों का पिछले एक साल से करोड़ों रुपये आयुष्मान भारत योजना के तहत बकाया है। राज्य सरकार हमलोगों का बकाया नहीं दे रही है। ऐसे में हमलोग कर्ज लेकर और कितने दिनों तक इलाज करेंगे। राज्य सरकार को गरीबों से कोई सरोकार नहीं है। स्वास्थ्य बीमा योजना लगातर बढ़ा रही है ,जबकि संसाधन है ही नहीं, ऐसे में राज्य सरकार को इसपर मंथन करने की जरूरत है।

डॉ.अनंत सिन्हा और डॉ. गंभीर ने कहा कि अस्पतालों को लंबे समय से भुगतान नहीं किया जा रहा है। सभी अस्पतालों को इस साल फरवरी की शुरुआत से महीने से अधिक भुगतान नहीं मिला है। इसके अलावा 212 अस्पतालों को पिछले 10 महीनों से भुगतान नहीं मिला है। इसके कारण, अस्पतालों को चलाना बहुत मुश्किल हो रहा है क्योंकि अधिकांश रोगियों के पास अब आयुष्मान कार्ड है। हम जानते हैं कि हमारे राज्य की लगभग 8 आबादी इस एमएमजेएवाई योजना के तहत इलाज के लिए पात्र है। अस्पतालों के सामने बहुत बड़ी वित्तीय कठिनाई है। इसके कारण कई अस्पताल अपना संचालन बंद करने वाले है।

212 अस्पताल नेशनल एंटी-फ्रॉड यूनिट से आरोप से संबंधित समस्याओं का सामना कर रहे हैं। पे बहुत ही गैर-महत्वपूर्ण आरोप हैं और हमारे कई अस्पतालों को सरकार ने कई अस्पतालों को उनके आरोपों से मुक्त कर दिया है। आरोपों से मुक्त करने के बाद भी, उन्हें गरीब मरीजों को दी गई उनकी सेवाओं के लिए कोई भुगतान नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हजारीबाग में कई निजी अस्पताल मुख्यमंत्री आरोग्य आयुष्मान योजन के तहत इलाज बंद कर दिया है। उसी तरह रांची के निजी अस्पतालों में होने वाला है। इसलिए भुगतान करने की मांग की है।  

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