शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा बरसाता है अमृत : अभिनव आर्य

गणादेश बथनाहा:
आज शरद पूर्णिमा है। आज के ही दिन आदिकवि भगवान बाल्मीकि का भी जन्म हुआ था। आज धन और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी का भी क्षीर मंथन से उत्पत्ति होने की धारणा है। आज माता लक्ष्मी की प्रतिमा की विधि विधान के साथ पूजा अर्चना होती है। भद्रेश्वर नहर टोला में भी मिट्टी की प्रतिमा स्थापित कर आज रात्रि पूजन अर्चन किया जायेगा। आज मैथिल समाज में कोजगरा के रुप में भी उत्सव मनाया जाता है,जिसमें नवविवाहित लड़का का अपने घर पर प्रचलित रीति से अनुष्ठान होता है और साथ ही लड़के वाले की ओर से समाज में लड्डू, मखान, गन्ना, केला आदि प्रसाद रुप में वितरित किया जाता है।
मीरगंज शिवमन्दिर में योगकक्षा चलाने वाले अभिनव आर्य ने बताया कि प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी शरद पूर्णिमा मनाया जाएगा। वर्ष में एक बार शरद पूर्णिमा में चंद्रमा सोलहों कलाओं से युक्त होता है। अतः जब अश्विनी नक्षत्र रहता है, तब चंद्रमा की किरणें अमृत बरसाती है। इसलिए इस रात गाय के दूध से निर्मित खीर चंद्रमा की चांदनी में रखने का प्रावधान है ताकि खीर अमृतसमान हो जाय। फिर उस खीर को प्रसाद के रुप मे श्रद्धालुओं में वितरित किया जायेगा। गर्भिणी स्त्री को अपनी नाभी में आज चंद्र प्रकाश पड़ने देना चाहिए इससे गर्भ पुष्ट और होने वाला संतान स्वस्थ एवं निरोग होता है।

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