14 अप्रैल को आजसू पार्टी का जेल भरो अभियान
रांची। भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर आजसू पार्टी 14 अप्रैल को पूरे राज्य में जेल भरो आंदोलन करेगी। राज्य सरकार ने 7 मार्च को होने वाले विधानसभा घेराव को विफल करने हेतु सभी तंत्र को लगा दिया था। आजसू पार्टी के दस हज़ार से अधिक कार्यकर्ताओं पर केस-मुकदमा किया गया, उन्हें जगह-जगह रोका गया। कई नेताओं को उनके घर से पुलिस ने उठा लिया, तो कई को स्टेशन से। 6, 7 एवं 8 सितंबर को सामाजिक न्याय मार्च के जरिये राज्य के कोने-कोने से एकत्रित किये हुए स्मरण पत्र को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर जाते समय भी सरकार ने आजसू के कार्यकर्ताओं पर लाठी, डंडे चलवाएं। जगह-जगह बैरिकेडिंग लगवाएं। पिछड़ों की आवाज़ को दबाने के लिए केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो, गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, पूर्व मंत्री रामचंद्र सहिस, गोमिया विधायक डॉ. लंबोदर, केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत सहित पंद्रह सौ लोगों पर केस मुकदमा भी किया गया।
लेकिन तमाम राजशाही फरमानों के बावजूद आजसू के कार्यकर्ताओं ने अपनी आवाज़ बुलंद की और अब 14 अप्रैल को आजसू के कार्यकर्ता राज्य के हर जेल में अपना परिचय देंगे। आजसू पार्टी सरकार से यह जानना चाहती है कि झारखण्ड की पहचान, यहां की माटी के लिए लड़ने वालों के लिए उनके जेलों में कितनी वेकैंसी है।
• सरकार बाबा साहेब को सच्ची श्रद्धांजलि दे-
भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर समावेशी विकास के प्रबल पक्षधर थे। उन्होंने स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुत्व को विश्व के सबसे बड़े लिखित संविधान का आदर्श बनाया। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहाँ सबको समान अधिकार एवं नीति-निर्णय में समान भागीदारी मिले। उन्होंने समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक एवं राजनैतिक उन्नति की कल्पना की थी, लेकिन अब भी बाबा साहेब का सपना अधूरा है।
आजसू पार्टी राज्य सरकार से यह आग्रह करती है कि भारत रत्न बाबा साहेब अंबेडकर जी को सिर्फ फूल-माला वाली श्रद्धांजलि अर्पित ना करे बल्कि यहां के पिछडों-शोषितों के साथ सामाजिक न्याय करे। मुख्यमंत्री जी ने प्रथम कैबिनेट में पिछड़ों को आरक्षण देने की बात अपने सभी चुनावी सभाओं में कही थी। वो वीडियो आज भी वायरल होते रहता है। कई कैबिनेट बीत गए लेकिन इसपर चर्चा नहीं हुई।
• इन सात विषयों को लेकर होगा जेल भरो अभियान-
अलग राज्य आंदोलन के उसूलों एवं झारखण्डी अस्मिता तथा पहचान को स्थापित करने एवं बाबा साहेब के सपनों को साकार करने हेतु आजसू पार्टी सात मांगों को लेकर 14 अप्रैल को जेल भरो अभियान करेगी। सात मांगों में खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति लागू करने, पिछड़ों को आबादी अनुसार आरक्षण सुनिश्चित करने, जातीय जनगणना सुनिश्चित करने, सरना धर्म कोड लागू करने, बेरोजगारों को रोज़गार देने, झारखण्ड के संसाधनों का लूट बंद करने तथा झारखण्ड आंदोलनकारियों को सम्मान देने की बात मुख्य रुप से शामिल है।
• सवालों का गोल-मटोल जवाब ना दे सरकार-
झारखण्ड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो द्वारा विधानसभा में स्थानीय नीति, पिछड़ा आरक्षण, बेरोज़गारी एवं संसाधनों के दोहन के मुद्दे को लेकर पूछे गए सवालों का सरकार गोल-मटोल जवाब देती है।
सरकार बनने के 2 साल बाद भी अगर राज्य के मुख्य विषयों पर सरकार का सीधा जवाब नहीं आना, यह सिद्ध करता है कि जनहित के मुद्दों का हल करने हेतु ये लोग बिल्कुल भी गंभीर नहीं।
• बालू घाटों पर किसका कब्जा-
श्री सुदेश कुमार महतो ने संसाधनों की लूट पर भी विधानसभा में सरकार से सवाल किया, लेकिन सरकार की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया। बालू घाटों की लम्बे समय से नीलामी नहीं होने के कारण हर वर्ष अरबों रूपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। अब तो आलम यह है कि अवैध बालू लदे गाड़ियों के पकड़े जाने की संख्या ज्यादा है और इसके एवज में राशि वसूली कम हो गयी गई है। आखिर राशि कौन निगल रहा है और इन घाटों पर कब्जा किसका है?
• दो साल बाद भी बेरोज़गारी भत्ता प्रदान करने के मापदंड तैयार नहीं-
बेरोज़गारी एवं बेरोज़गारी भत्ता को लेकर श्री सुदेश कुमार महतो द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर सरकार का यह जवाब आता है कि-“बेरोजगारी भत्ता प्रदान करने के मापदंड को अभी तक अंतिम रुप नहीं दिया गया है।” यह झारखण्डी जनता और यहां के युवाओं के साथ विश्वासघात नहीं तो और क्या है?
• स्थानीय नीति, नियोजन नीति, आरक्षण के विषयों को हल करने हेतु निश्चित अवधि तय करे सरकार-
आजसू पार्टी सरकार से यह आग्रह करती है कि झामुमो महागठबंधन की सरकार अब टालमटोल करना बंद करे और स्थानीय नीति, नियोजन नीति, आरक्षण के विषयों को हल करने हेतु निश्चित अवधि तय करे।
• आंदोलन और तेज़ होगा-
ज्ञात हो कि आजसू पार्टी ने 2022 को संघर्ष वर्ष घोषित किया है और 7 मार्च को विधानसभा घेराव के साथ इसकी शुरुआत की जा चुकी है। संघर्ष वर्ष में आजसू पार्टी हर जन आंदोलन से जुड़कर राज्य के सभी मुद्दों पर सड़क से लेकर सदन तक झारखंडियों की आवाज़ को बुलंद करेगी। यह संघर्ष अब और तेज़ होगा।