फारबिसगंज-खवासपुर रेल सम्पर्क निर्माण संघर्ष समिति का गठन

मृणाल शेखर
फारबिसगंज:अररिया-गलगलिया नई रेल लाईन के अंतर्गत पड़ने वाले खवासपुर स्टेशन को फ़ारबिसगंज से जोड़ने को लेकर रेल उपभोक्ताओं एवं समाजसेवियों की एक बैठक व्यवसायी माँगीलाल गोलछा के निवास स्थान पर बच्छराज राखेचा की अध्यक्षता में हुई।
मौके पर मौजूद डीआरयूसीसी सदस्य बिनोद सरावगी ने कहा कि भूतपूर्व रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा का पूर्वोत्तर भारत से उत्तर भारत को जोड़ने की महत्वाकांक्षी कांक्षी योजना थी, जिसके तहत गलगलिया को फ़ारबिसगंज से जोड़ते हुए सरायगढ़-दरभंगा-गोरखपुर तक जोड़ने की योजना थी जो उनके समस्तीपुर ब्लास्ट में हुई असामयिक मौत के कारण यह परियोजना फ़ाइलों में दबकर रह गयी। वहीं बिहार दैनिक रेल यात्री संघ के केंद्रीय समिति के सदस्य बच्छराज राखेचा ने कहा कि तत्कालीन गृह राज्यमंत्री मो. तसलीमुद्दीन के प्रयास से गलगलिया से फ़ारबिसगंज के सर्वे का कार्य प्रारम्भ किया गया था। जो कुछ कारणों से फ़ारबिसगंज के बजाय अररिया कर दिया गया।
इस संदर्भ में रेल मामलों के जानकार मंगलचंद चैनवाला ने बताया कि खवासपुर से यह रेल लाईन दक्षिण की ओर मोड़ दी गई तथा इसे अररिया से जोड़ने का काम किया जा रहा है। बैठक में उपस्थित सभी सदस्यो ने एकमत होकर खवासपुर से फारबिसगंज जोड़ने को लेकर आंदोलन का निर्णय लिया।वक्ताओं ने कहा कि फ़ारबिसगंज के साथ एक सौतेलापूर्ण व्यवहार हो रहा है।अभी भी खवासपुर को फ़ारबिसगंज से एक नए रेल सम्पर्क बनाकर जोड़ा जा सकता है।महज़ १३ किलोमीटर है कनेक्टिंग लिंक बनाकर पूर्वोत्तर भारत का सीधा सम्पर्क पश्चिम भारत से किया जा सकता है।बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने इस महत्वकांक्षी माँग को लेकर रेल मंत्रालय, रेल मंत्री, रेलवे बोर्ड तथा एनएफ़ रेलवे के आलाधिकारियों से माँग की। एक संघर्ष समिति बनाने का निर्णय लिया। जिसका नाम फ़ारबिसगंज खवासपुर रेल सम्पर्क निर्माण संघर्ष समिति रखा गया। जिसमें संरक्षक के रूप में बच्छराज राखेचा एवं बिनोद सरावगी, अध्यक्ष माँगीलाल गोलछा, उपाध्यक्ष राकेश रौशन एवं पंकज रंजित, सचिव ई. आयुष अग्रवाल, संयुक्त सचिव मुमताज़ आलम, कोषाध्यक्ष पूनम पांडिया, प्रवक्ता पवन मिश्रा एवं अभियान प्रमुख के रूप में शाहजहाँ शाद का नाम सर्वसम्मति से चुना गया।
वहीं 13 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति बनाई गई जिसमें अजातशत्रु अग्रवाल, मूलचंद गोलछा, मनोज जयसवाल, मंगलचंद चैनवाला, गोपाल कृष्णा सोनू, गोपाल अग्रवाल, रमेश सिंह, गद्दु अली, अवधेश कुमार साह, ब्रजेश राय, सुशील कुमार घोषल, मनीष गोलछा, राशिद जुनैद शामिल हैं एवं मीडिया जगत के सभी पत्रकार एवं संवाददाता को इसका स्थाई विशेष आमंत्रित सदस्य रखने का निर्णय लिया गया।
आंदोलन के पहले चरण में क्षेत्रीय सांसद एवं विधायक, माननीय रेलमंत्री, रेलवे बोर्ड के चेयरमेन, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के महाप्रबंधक को माँग पत्र सौंपा जाएगा तथा सोशल मीडिया जैसे ट्विटर, वहत्सप, फ़ेसबुक के ज़रिए जागरूकता अभियान चलाने की मुहिम चलाई जाएगी। आंदोलन के दूसरे चरण की रूपरेखा पर चर्चा करने के सभी सदस्य शीघ्र ही बैठेंगे।
अभियान प्रमुख शाहजहाँ शाद ने बताया कि यह संघर्ष समिति ग़ैर राजनीतिक होगा और हमारा आंदोलन पूर्ण रूप से शांतिपूर्ण रहेगा। सचिव ई आयुष अग्रवाल ने कहा कि अगर यह योजना मूर्त रूप ले लेती है तो इस पिछड़े क्षेत्र का आर्थिक, व्यावसायिक विकास के लिए मील का पत्थर शाबित होगा एवं उम्मीद है कि यह आंदोलन एक जन आंदोलन का रूप लेगा एवं तमाम शहरवासी इससे अपने को जुड़ा महसूस करेंगे।

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