हमारी लड़ाई अपने राज्य, अपने समाज व संस्कृति की रक्षा के लिए : सुदेश
राँची। आज का दिन उन अगणित बलिदानों को स्मरण करने और उनके संघर्षों को याद करने का दिन है, जिनके त्याग, समर्पण और शहादत से हमें आज़ादी मिली। ब्रिटिश हुक़ूमत के खिलाफ़ आज़ादी की लड़ाई में हमारे वीर शहीदों का योगदान बहुत बड़ा है, लेकिन इतिहास के पन्नों में जगह बहुत कम। सरकार और इतिहासकारों ने हमारे वीर शहीदों की शौर्य गाथा के साथ इंसाफ नहीं किया। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की शहादत एवं उनकी शौर्य गाथा को पूरा देश जाने, इसमें 70 साल से भी ज्यादा का वक़्त लग गया।
आज का समय बहुत कठिन है। समाज को तोड़ना आसान है लेकिन जोड़ना उतना ही कठिन। हमें हर परिस्थिति में जागरुक एवं एकजुट रहना होगा। जो समाज जितना संगठित है, वो उतना ही उन्नत और विकसित है। एकजुटता से ही विकास संभव है। हमारी लड़ाई अपने राज्य, अपने समाज व संस्कृति की रक्षा के लिए है। जो समाज पीछे छूट गए हैं, उन्हें प्रथम पाती में लाने की तैयारी करनी होगी। हमें झारखण्डी विचारों को एकजुट करना होगा।
उक्त बातें झारखण्ड के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने झारखण्ड के वीर सपूत नीलांबर-पीतांबर जी के बलिदान दिवस पर मोराबादी, राँची में खरवार भोगता विकास संघ द्वारा आयोजित शहादत समारोह में कही।
उन्होंने कहा कि वीर शहीद नीलांबर-पीतांबर ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन का जो बिगुल फूंका, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। झारखण्ड वीर शहीदों, क्रांतिकारियों एवं आंदोलनकारियों की भूमि है। हमारे भूमिपुत्रों ने कभी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया, उनके सामने झुकना स्वीकार नहीं किया। हमें वीर शहीदों की सँघर्ष गाथा से प्रेरणा लेकर, इतिहास को पुनः लिखना होगा। वीर शहीदों, आंदोलनकारियों को वो सम्मान देना होगा, जिसके वे असली हकदार हैं।