भगवान बिरसा के वंशजों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति आज तक नहीं हुई,अब पीएम मोदी से है नई उम्मीदें..
खूंटी: अंग्रेजों के खिलाफ उलगुलान करने वाले भगवान बिरसा मुंडा के वंशजों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति आजतक नहीं हो पाई है। यहां तक उनके जन्मस्थली उलिहातु का भी समुचित विकास नहीं हो पाया है। वहां पर आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। यह बातें झाविमो के पूर्व जिला अध्यक्ष सह पॉलिटिकल नेता दिलीप मिश्रा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही है।
श्री मिश्रा ने कहा है कि भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर प्रत्येक साल15 नवंबर को झारखंड स्थापना दिवस मनाया जाता है।
15 नवंबर को अबतक कई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल उलीहातु जाकर बड़ी-बड़ी घोषणा कर चुके हैं। तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री वर्तमान में रक्षा मंत्री भारत सरकार राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कई एक बार राज्यपाल ने भी उलीहातु जाकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं की है। उलीहातु की दशा एवं रहन-सहन में लोगों खासकर बिरसा के वंशजों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति आज तक नहीं हुई है।
6 माह पूर्व महामहिम राष्ट्रपति का उलीहातू में बिरसा की धरती पर आगमन हुआ फिर भी उलीहातू एवं बिरसा के वंशजों के रहन-सहन एवं सुविधा में कोई खास बदलाव आज तक नहीं हुई। सिर्फ बिरसा के नाम पर राजनीति हुई।
पॉलिटिकल नेता दिलीप मिश्रा ने कहा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 15 को उलीहातु आयेंगे तो एक बार वहां के लोगों को एक नई उम्मीद जग गई है।
प्रधानमंत्री से आग्रह है कि आप जो भी घोषणाएं करें उसका अमल शत प्रतिशत कराए तो निश्चित ही बिरसा भगवान को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
साथ ही बिरसा मुंडा के वंशज एवं उलीहातू गांव के पढ़े-लिखे बेरोजगार लड़के लड़कियों को उनके योग्यता के अनुसार स्थाई नौकरी नियोजन मिल जाता तो वही भगवान बिरसा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसके अलावा राजधानी रांची स्थित बदहाल अवस्था में एचईसी की स्थिति सुधारने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि एचईसी सरकारी उपक्रम है जो न जाने कितने रक्षा उपकरणों की मिसाइल तोप एवं रक्षा सामग्री के निर्माण में सहयोगी बना है। यहां तक की चंद्रयान यात्रा में भी एचईसी की भूमिका कम नहीं है ऐसे में प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि मृत प्राय एचईसी को जीवित किया जाए।