पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि पर बोले कांग्रेस प्रवक्ता,भाजपा को जीत का आराम मिलते ही फ़िर महंगाई ने जनता का जीना हराम कर दिया
रांची :पेट्रोल, डीजल, गैस सिलेंडर की कीमतों में कमर तोड़ वृद्धि हुई है, पांच राज्यों में भाजपाई जीत के साथ मोदी जी द्वारा लाए ‘महंगे दिन’ पुनः वापस आ गए। चुनावों तक अल्पविराम था,भाजपा को जीत का आराम मिलते ही फ़िर महंगाई ने जनता का जीना हराम कर दिया। उक्त बातें प्रतिक्रिया स्वरूप प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने प्रेस बयान जारी करते हुए कही उन्होंने कहा की चुनाव पूर्व पेट्रोलियम पदार्थों मे टैक्सों मे मामूली छुट और बड़े बड़े दावों की हकीकत सामने आ गयी, अभीतक राज्यों में सरकारों का शपथग्रहण भी नहीं हो सका है बावज़ूद इसके भाजपा ने महंगाई के साथ अपने गठबंधन को पुनर्जीवित कर दिया है l यूपी चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से जनता को कहा था चुनाव जिताओ होली में मुफ्त गैस पाओ मुफ्त तो दिया नहीं अब महंगे दे रहे हैं lभाजपा के चुनावी जीत का खामियाजा आम जनता को तीन प्रकार से भुगतना पड़ता है सत्ता का अहंकार निरंकुशता और महंगे दिन के रूप में
1.जब मई 2014 में सत्ता संभाली तो पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क केवल 9.20 रुपये प्रति लीटर और 3.46 रुपये प्रति लीटर पर था, जिसमें भाजपा सरकार द्वारा पेट्रोल पर 18.70 प्रति लीटर और डीजल पर 18.34 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गयी है, जो यूपीए की तुलना में क्रमशः 203 और 531 प्रतिशत ज्यादा है।
- वर्ष 2014-15 से वर्ष 2021-22 तक आठ वर्षों की अवधि के बीच, केंद्रीय भाजपा सरकार ने बार-बार पेट्रोल और डीजल पर करों में वृद्धि करके जनता से आठ साल में 26 लाख करोड़ रुपए वसूले हैं।
- दो साल पहले लॉकडाउन के बाद से, पेट्रोल और डीजल पर कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी और उत्पाद शुल्क से जबरन वसूली और मुनाफाखोरी की सीमा सभी प्रकार के शोषण को पार कर गई है। 22 मार्च 2020 को, दो साल पहले आज के ही दिन, पेट्रोल और डीजल की दरें क्रमशः 69.59 रुपये और 62.29 रुपये थीं, जिसे बढ़ाकर क्रमश: 96.21 रुपये प्रति लीटर और 87.47 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।
- 26 मई 2014 को जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी, तब भारत की तेल कंपनियों को कच्चा तेल 108 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मिल रहा था, आज भी 108.25 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल है। उस समय पेट्रोल व डीजल क्रमशः 71.41 और 55.49 रुपए प्रति लीटर में उपलब्ध था, जो आज क्रमशः 96.21 और 87.47 रुपए प्रति लीटर बेचा जा रहा है। अमेरिकी डॉलर में कच्चे तेल की कीमत वही होने के बावजूद पेट्रोल व डीजल की कीमतें क्रमशः 24.80 रुपये और 31.98 रुपये प्रति लीटर ज्यादा हैं।
- भारत के लोगों को धोखा देने और उनकी मेहनत की कमाई से लूट होने का सबसे बड़ा सबूत इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले आठ साल में कच्चे तेल की कीमतें यूपीए शासन की तुलना में बहुत कम रही हैं लेकिन डीजल और पेट्रोल की कीमतें यूपीए की दरों की तुलना में बहुत अधिक हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले आठ साल में कच्चे तेल की औसत कीमत 60.6 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल है, जो यूपीए सरकार के आखिरी तीन वर्षों में यानी वर्ष 2011 से 2014 तक 108.46 अमेरिकी डॉलर थी। (आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध)
- आज 22 मार्च, 2022 को कच्चे तेल की कीमत 108.25 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल है। याद रहे की 26 मई, 2014 को जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी, उस दिन भी कच्चे तेल की कीमत 108 अमेरिकी डॉलर ही थी। लेकिन आज पेट्रोल- डीजल बहुत महंगे हैं।
- एलपीजी की दरें सऊदी अरामको की एलपीजी कीमतों के आधार पर तय की जाती हैं, जो वर्तमान में 769.11 अमेरिकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन है, जो कि डॉलर-रुपये की विनिमय दर 75.89 के अनुसार 58,367.75 प्रति मीट्रिक टन, यानी एलपीजी की अंतरराष्ट्रीय कीमत 58.37 रुपये प्रति किलोग्राम है। एक घरेलू गैस सिलेंडर में 14.2 किग्रा गैस होती है, यदि इसका आधार मूल्य निकाला जाए तो यह 828.82 रु. प्रति सिलेंडर बनती है। फिर इस कीमत पर, मोदी सरकार 5% जीएसटी, बॉटलिंग शुल्क, एजेंसी कमीशन, परिवहन शुल्क लेती है और फिर कंपनियों के अपने लाभ में वृद्धि करती है और इस देश के गरीब लोगों से प्रत्येक सिलेंडर के लिए 949-1100 रुपये की मोटी राशि वसूल की जा रही है।
- यूपीए की सरकार में एलपीजी का अंतर्राष्ट्रीय मूल्य 2012-2013 और 2013-2014 में 885.2 और 880.5 यूएस डॉलर था, लेकिन यूपीए की सरकार महंगे भाव से एलपीजी को खरीदकर आम जनता को भारी सब्सिडी देकर केवल 399- 414 रुपए प्रति सिलेंडर के भाव में देती थी।