शहीदों की शहादत से प्रेरणा ले युवा पीढ़ीः सुदेश

रांची। शोषण, अत्याचार और हर जुल्म के खिलाफ संघर्ष ही झारखंडियों की पहचान है। सिदो-कान्हू के संताल हूल एवं भगवान बिरसा के क्रांति की भूमि झारखंड के क्रांतिकारियों ने कभी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं किया। सिपाही विद्रोह के वर्षों पूर्व झारखंड के वीर सपूतों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका। संताल हूल के दौरान वीर शहीद सिदो-कान्हू के नेतृत्व में हजारों क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत दी। लेकिन इतिहास के पन्नों में झारखंड के वीर शहीदों को वो जगह, वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वे असली हकदार थे।
उक्त बातें आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री सुदेश कुमार महतो ने रांची स्थित सिदो-कान्हू पार्क जाकर संताल हूल के महानायक सिदो-कान्हू को श्रद्धांजलि अर्पित करने के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि लगभग 60 सालों के त्याग, बलिदान, तपस्या और अनगिनत शहादतों के बाद हमें झारखंड अलग राज्य मिला। आज झारखंड अपना इक्कीस वर्ष पूर्ण कर चुका। लेकिन अलग राज्य आंदोलन की लड़ाई के पीछे जो मुद्दे थे, जो सोच थी, जो सपने थे- क्या वो पूर्ण हुए? क्या हम उन वीर योद्धाओं के सपनों का झारखंड बना पाए? यह चिंतन करने का वक्त है। युवाओं से आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि शहीदों की शहादत से युवा पीढ़ी प्रेरणा ले तथा राज्य को नई दिशा देने में सकारात्मक भूमिका अदा करें।

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