झारखंड हाईकोर्ट में शेल कंपनियों और खान आवंटन मामले में हुई सुनवाई, अदालत ने याचिकाकर्ता की बातें सुनीं
रांची: झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को शेल कंपनियों और खदान लीज मामले की सुनवाई हुई। यह सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सूजीत नारायण प्रसाद के बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट के समक्ष पौने तीन घंटे तक बहस की गयी. बहस के दौरान अदालत को कई जानकारियां दी गयीं और सीबीआई जांच कराने का आग्रह किया गया. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता फिर ईडी, सरकार और सबसे अंत में आपकी बातें सुनी जायेंगी. बहस में सरकार की तरफ से ऑनलाइन माध्यम से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल शामिल हुए. ईडी की ओर से प्रशांत पल्लव, और सीएम की ओर से वरीय अधिवक्ता मिनाक्षी अरोड़ा शामिल हुई. याचिका कर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखते हुए कहा कि शेल कंपनियों के मामले में सीएम और उनके भाई बसंत सोरेन का ताल्लुक कोलकाता के व्यवसायी अमित अग्रवाल से है. शेल कंपनियों के जरिये करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ है. प्रार्थी की ओर से सुरेश नागरे का संबंध बसंत सोरेन से बताते हए कहा गया कि अवैध बालू खनन और स्टोन चिप्स का किंगपिन है। सुरेश नागरे का संबंध मुंबई के अबू आजमी के बेटे से है। इस बात की ज्यादा संभावना है कि इनके तार अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े हो सकते हैं। इस दौरान प्रार्थी की ओर से शराब व्यवसाय का भी मुद्दा उठाते हुए योगेंद्र तिवारी, अमरेंद्र तिवारी और राज्य के कुछ आइएएस का भी नाम कोर्ट में लिया गया। कहा गया कि इनकी मिलीभगत से मनमाने तरीके से शराब का ठेका दिया गया। उनकी ओर से कई ऐसी शेल कंपनियों का जिक्र किया गया जिसके जरिए शराब ठेका में पैसे का निवेश किया गया है। इसका डिटेल भी दिया गया। इस दौरान प्रार्थी की ओर से खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में बहस करते हुए कहा गया कि मनरेगा एक्ट के तहत उपायुक्त ही मनरेगा स्कीम को लागू करने में हुई गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार होते हैं। तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल ने वित्तीय अनियमितता की। लेकिन उन्हें विभागीय जांच में क्लीन चिट दे दिया गया। जबकि इस मामले में जेई राम विनोद सिन्हा पर 16 प्राथमिकी दर्ज करा दी गई। राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा। उन्होंने बिंदुवार कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि प्रार्थी की ओर से सिर्फ आरोप लगाए गए हैं। उससे संबंधित कोई भी दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए गए हैं और न ही आरोपों का आधार बताया गया है। प्रार्थी ने प्रथम दृष्टया अभी कोई ऐसा दस्तावेज या आधार कोर्ट में पेश नहीं किया गया है, जिससे आरोप को माना जाए। ऐसे में सभी आरोप बिल्कुल निराधार हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एक बार फिर दोनों याचिकाओं पर दिये गये दस्तावेजों पर सवाल उठाया और कहा कि मामला शीर्ष अदालत में लंबित है. इसलिए दोनों याचिकाओं की मेरिट पर सुनवाई स्थगित की जाये. इस दौरान ईडी के अपर सोलिसिटर जनरल एसबी राजू भी मौजूद रहे.