तेरी जीत मेरी जीत, मेरी हार तेरी हार………..

रांचीः देश में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव मे पिता और पुत्र को असमंजस में डाल दिया है। एक पुरानी फिल्म का गाना है तेरी जीत मेरी जीत मेरी हार तेरी हार, खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है सारी जिंदगी….लेकिन यह गाना भी पिता पुत्र के बीच फिट नहीं बैठ रहा। परिवार तक तो यह गाना एकदम फिट है। एकजुटता भी है। लेकिन राजनीति में परिवार की एकजुटता भी नहीं टिक पाती। हम बात कर रहे हैं विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीवार यशवंत सिन्हा और उनके बेटे जयंत सिन्हा की। यशवंत सिन्हा विपक्ष से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं, तो जयंत सिन्हा बीजेपी के सांसद है। अब इस चुनाव में जहां पिता का हार पुत्र की जीत का सेहरा होगा और पिता की जीत के लिए दुआ मांगना बेटे के लिए पुत्र धर्म. लेकिन कर्म का धर्म ऐसा है कि पिता को हराने के लिए ही पुत्र को वोट करना है और संभवत भारतीय राजनीति में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए यह पहला मौका है कि पिता को हराने के लिए पुत्र वोट देगा. झारखंड का एक ऐसा राजनीतिक घराना जहां पिता विपक्ष में तो पुत्र सत्ता पक्ष में। पिता हार जाए इसके लिए पुत्र भी पक्ष में वोट दिया हो और लोकतंत्र में ऐसा हुआ भी होगा तो यह माना जा सकता है को राज्य से आगे नहीं गया होगा. लेकिन देश के सर्वोच्च पद के लिए हो रहे चुनाव में हजारीबाग में कुछ ऐसा ही हो रहा है. जहां पिता की जीत के लिए पुत्र का विपक्ष में वोट देना है या यूं कहा जाए कि बेटे के जीत के लिए पिता को हारना होगा.सवाल यह खड़ा हो गया है कि जयंत सिन्हा का इस चुनाव में स्टेप क्या होगा। कहीं पिता के लिए पार्टी के लाइन से अलग हटकर जयंत सिन्हा तो वोट नहीं करेंगे. इसको लेकर तरह तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं।

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