राज्यसभा चुनाव पर एक तीर से कई निशाने साध रहे ललन सिंह

*खुल सकती है पूर्व मंत्री शैलेश कुमार या पूर्व पत्रकार प्रगति मेहता की किस्मत

*नीतीश कुमार की निगाहें धानुक जाति के उम्मीदवार पर
रंजीत विद्यार्थी
मुंगेर:राज्यसभा की उम्मीदवारी पर जारी सस्पेंस के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को एक बार फिर कहा,समय आने पर सब मालूम हो जायेगा । नीतीश पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद पत्रकारों के प्रश्न का जवाब दे रहे थे.अब सवाल उठ रहा है कि समय कब आयेगा,नीतीश अपने पत्ते कब खालेंगे और इस बार किसको राज्यसभा भेजेंगे? नामांकन की आखिरी तारीख 31 मई है.केंद्र सरकार में इस्पात मंत्री आरसीपी सिंह राज्यसभा की टिकट के मजबूत दावेदार माने जा रहे थे.लेकिन नीतीश कुमार ने जिस तरह उनसे नजर फेर रखी है,उसे देखते हुए आरसीपी का राज्यसभा जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन दिख रहा है.

जानकारों का कहना है कि नीतीश अब दूसरे विकल्प पर विचार कर रहे हैं.वे किसी अति पिछड़ा को राज्यसभा भेजना चाह रहे हैं.उनकी नजर धानुक जाति पर है.वे अगर इस बार धानुक बिरादरी से किसी युवा चेहरा को राज्यसभा भेज दें तो आश्चर्य नहीं होगा. जेडीयू में दो नेताओं के नाम की चर्चा चल रही है.पूर्व मंत्री शैलेश कुमार और पूर्व पत्रकार प्रगति मेहता । प्रगति मेहता 2014 में राजद की टिकट पर मुंगेर से लाकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.शैलेश कुमार नीतीश की पिछली सरकार में मंत्री थे.विधानसभा चुनाव में जमालपुर से उम्मीदवार बनाये गये थे।

धानुक बिरादरी से उम्मीदवार देने पर नीतीश और ललन की एक राय

राजनीतिक समीक्षकों की मानें तो धानुक बिरादरी से उम्मीदवार देने पर नीतीश और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की राय एक है.ललन सिंह मुंगेर से जेडीयू के सांसद हैं.बिहार विधानसभा चुनाव—2020 में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र की छह सीटों में से जेडीयू को एक सीट पर भी जीत नहीं मिली थी.धानुक बहुल मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में धानुक बिरादरी के रामानंद मंडल और शैलेश ​कुमार चुनाव हार गये थे.जेडीयू ने रामानंद मंडल को सूर्यगढा और शैलेश कुमार को जमालपुर से अपना उम्मीदवार बनाया था.शैलेश 2015 से 2020 तक नीतीश सरकार में मंत्री भी थे.इन दोनों की हार से दो बातें हुईं.पहला,ललन सिंह की भूमिहारों पर पकड़ को लेकर सवाल उठे.दूसरा,धानुक बिरादरी में संदेश गया कि भूमिहारों ने वोट नहीं दिया,जिसकी वजह से रामानंद और शैलेश हार गये.

हालांकि जानकारों का कहना है कि ललन सिंह ने रामानंद और शैलेश को जिताने के लिए भूमिहारों के बीच हाथ जोड़कर प्रचार किया था.लेकिन विधानसभा चुनाव में मिली पराजय को धानुक बिरादरी ने दिल पर ले रखा है.यह बात ललन सिंह को भी पता है.लिहाजा वे चाह रहे हैं कि राज्यसभा का टिकट धानुक बिरादरी के नेता को ही मिले ताकि लोकसभा चुनाव में उनको किसी प्रकार की नाराजगी नहीं झेलनी पड़े ।

ललन किसी धानुक नेता को राज्यसभा भेजकर लोकसभा चुनाव में उठाना चाह रहे लाभ

बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव में जमालपुर से कांग्रेस के अजय कुमार सिंह​ जो भूमिहार बिरादरी से आते हैं,उन्होंने जेडीयू के शैलेश कुमार को हराया था.इसकी वजह से धानुक बिरादरी में संदेश गया कि भूमिहारों ने जाति देख कर वोट दिया। जिससे शैलेश कुमार हार गये और कांग्रेस का कमजोर उम्मीदवार जीत गया.यही आरोप सूर्यगढा में भी लगा, वहां ललन सिंह के करीबी और स्वजातीय अशोक कुमार सिंह एलजेपी के टिकट पर लड़ गये.अशोक ने 42 हजार से अधिक वोट काट लिया.नतीजा हुआ कि जेडीयू के रामानंद मंडल हार गये और राजद के प्रह्लाद यादव चुनाव जीत गये.जानकार बताते हैं कि ललन सिंह किसी धानुक नेता को राज्यसभा भिजवाकर धानुक बिरादरी को खुश करना चाह रहे हैं.इससे दोनों काम हो जायेगा,ललन के विरोधी समझे जाने वाले आरसीपी सिंह का पत्ता साफ हो जायेगा और धानुकों की नाराजगी भी दूर हो जायेगी.इसका लाभ उन्हें लोकसभा चुनाव में मिलगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *