पटना के 6 स्ट्रैंड रोड के बंगले में जो भी रहा, उनकी कुर्सी गई
पटनाः बिहार के सियासी गलियारों में पटना के 6 स्ट्रैंड रोड के बंगले की चर्चा जोरों पर है। इस रहस्यमयी बंग्ले की कहानी ही कुछ है। इसमें जो भी मंत्री रहा, उसे कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। रविवार से एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया जब बिहार के पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी को नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से हटाने की सिफारिश कर दी गई, जैसे ही इस बात की घोषणा हुई बंगले को लेकर चला आ रहा मिथक एक बार फिर से सच होता दिख गया.
जो रहा वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया
इस बंगले में जो भी मंत्री बन कर गया वो अपना पूरा कार्यकाल नहीं कर पाया है. एक बार फिर मुकेश सहनी के मंत्रिमंडल से हटाने की अनुशंसा होते ही बंगले को लेकर चला आ रहा मिथक सच हो गया. बंगले के निर्माण के बाद से जब पहली बार मंत्री बन कर 2015 में अवधेश कुशवाहा इसमें रहने आए तो महज दो साल के अंदर ही उन पर घूस लेने का आरोप लगा और उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा.2015 में बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तो राजद कोटे से आलोक मेहता मंत्री बने लेकिन 2017 में महागठबंधन में टूट हुई और एक बार फिर मंत्री आलोक मेहता को महागठबंधन की सरकार गिरने पर पद से हटना पड़ा और ये बंगला छोड़ना पड़ा. आलोक मेहता के मंत्री पद से हटने पर उनकी जगह मंजू वर्मा नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बनीं लेकिन मंत्री बनने के एक साल के अंदर ही बालिका गृह कांड हो गया और 2018 में मंत्री मंजू वर्मा को बालिका गृह कांड के कारण इस्तीफा देना पड़ गया.साल 2020 में जब बिहार में एनडीएसरकार बनी तो मुकेश सहनी पशुपालन मत्स्य मंत्री बने और उनको ये बंगला आवंटित हुआ लेकिन मुकेश सहनी की कहानी भी अन्य मंत्रियों की तरह ही रही और ये सरकार बंगला उनको सूट नहीं कर सका. मंत्री बनने के महज़ डेढ़ साल के अंदर ही 2022 में मुकेश सहनी को भी मंत्री पद से हटना पड़ा और इसके साथ ही बंगला नम्बर 6 स्टैंड रोड का मिथक कि जो भी बंगला में रहा वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है, फिर से सच साबित हो गया.