विश्व आदिवासी दिवस पर कैबिनेट मंत्री बैद्यनाथ राम,विधायक राजेश कच्छप सहित अन्य नेताओं ने क्या कहा..

रांची : विश्व आदिवासी दिवस आदिवासियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस है। इसे आबादी के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए हर वर्ष 9 अगस्त को मनाया जाता है। पहली बार शुरुआत सयुंक्त राज्य अमेरिका में 1994 में मनाया गया था। पुरे विश्व में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। यह उत्सव झारखण्ड के सभी जिले में मनाया जाता है।खासकर राजधानी रांची में इसे आकर्षक ढंग से मनाया जाता है। इस वर्ष भी राजधानी रांची के बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में दो दिवसीय उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है।
सवाल यह है कि झारखण्ड में लगातार आदिवासियों की संख्या घट रही है,इसके पीछे कारण क्या है। इसपर यहाँ के कई पॉलिटिकल नेताओं ने क्या कहा आइये जानते हैं।
राज्य के स्कूली शिक्षा एवम साक्षरता मंत्री बैद्यनाथ राम ने कहा कि आदिवासियों के संरक्षण और संवर्धन के किये राज्य सरकार लगातार कार्य कर रही है. उनके लिए जन कल्याणकारी योजनायें चला रही है।वहीँ आदिवासियों की लगातार घटती संख्या पर कहा कि इसके कई कारण है। बहुत लोग दूसरे राज्य पलायन कर गए।झारखण्ड के आदिवासी कई राज्यों में नौकरी और रोजगार कर रहे हैं।वहीं बस गए हैं.आदिवासियों पर जितना फोकस होना चाहिए, अबतक नहीं हो पाया है. इसके आलावा बंगलादेशी घुसपैठिए भी यहाँ के आदिवासी बेटी और बहनों के साथ शादी कर उन्हें मुस्लिम बना रहे हैं।इससे भी आदिवासियों की संख्या घट रही है। लेकिन राज्य सरकार इसपर रोक लगाने के लिए काफी कुछ कर रही है.
मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार आदिवासियों के संरक्षण के लिए कटिबद्ध है। उनके विकास के लिए कई तरह की योजना चलाई जा रही है।
वहीँ कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप ने कहा कि झारखण्ड में डेमोग्राफी निश्चित रूप से चेंज हुआ है।इसके दो कारण हैं.एक तो पलायन है।आज भी आदिवासी अपनी रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्यों को पलायन कर रहे हैं। लेकिन जब से गठबंधन की सरकार बनी है तब से आदिवासियों का पलायन कम हुआ है। उन्होंने कहा कि मनरेगा में यदि सही से काम होता तो पलायन नहीं होता.इसके लिए केंद्र की भाजपा सरकार दोषी है।
इसके अलावा यहाँ पर आदिवासी कम बच्चे पैदा कर रहे हैं।यहाँ पर जो बहार से लोग बस रहे हैं वे लोग अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं। इससे आदिवासियों से अधिक गैर आदिवासियों के बच्चों की संख्या हो रही है। इससे भी आदिवासियों की संख्या घट रही है।आदिवासी जंगलों में रहना पसंद करते हैं।बाहर से यहां पर लोग आते गए और जंगल की कटाई होने लगी।वहां पर बड़ी बड़ी बिल्डिंग का निर्माण होने लगी। यह सब देख आदिवासी यहां से भागने लगे।आदिवासी मेहनती होते हैं। यहां पर बाहर से लोगों का अधिक संख्या में बसना,इससे आदिवासियों की संख्या लगातर घट रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार आदिवासियों के संरक्षण के लिए काम कर रही है।
उन्हें मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर किया जा रहा है.लेकिन सबसे बड़ी बात है कि आदिवासियों को उनके जमीन पर बैंक लोन देने से हिचकती है।सीएनटी जमीन पर बैंक लोन देना नहीं चाहती है।हमारी सरकार बैंकों से इसपर चर्चा की है ,यह परेशानी भी दूर कर लिया जायेगा.
कांग्रेस विधायक ने कहा कि झारखण्ड में बीते पांच सालों में आदिवासियों को खुशहाल करने के लिए हमारी सरकार कई तरह के जन कल्याणकारी योजनायें चला रही है. यहां के आदिवासी राज्य सरकार से खुश हैं और जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं.
खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड उप प्रमुख अरुण कुमार साबू का मानना है कि आदिवासियों का मूल जनजातीय समुदाय है.यह धीरे धीरे लुत्फ़ हो रहा है.यहां पर आदिवासी इसाई धर्म में परिवर्तन कर रहे हैं.क्योंकि वहां पर बहुत सारी सुविधाएँ दी जाती है.आदिवासियों के बीच में इसाई हावी हो गए हैं. आदिवासियों को सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधा अब इसाई को भी मिलने लगा है. 60 प्रतिशत आदिवासी इसाई में चले गए.जो इसाई थे वे आदिवासी बन बन गए हैं और अपना नाम के आगे मुंडा लिखने लगे हैं.
उप प्रमुख ने कहा कि आदिवासी प्रकृति और संस्कृति के प्रेमी होते हैं. उनका जल, जंगल और जमीन को दूसरे लोग छीन रहे हैं.इससे उनकी संख्या घट रही है.
सरना धर्म के लोगों पर इसाई धर्म के लोग हावी हो गए हैं. इसकी गंनना होनी चाहिए.जो मर्ज किये हैं उन्हें बाहर निकलाने की जरुरत है.
आदिवासियों की परपरा सरहुल है.आदिवासी प्रकृति की पूजा करते हैं. झारखंडियों का दर्जा सिर्फ सरना आदिवासियों को मिलना चाहिए .लेकिन इसका लाभ इसाई ले रहे हैं.ईसाईयों ने उनकी संख्या कम कर दी है. दो बच्चों पर ला दिया है.क्योंकि इसाई पढ़े लिखे होते हैं.
उन्होंने कहा कि मूल आदिवासी प्योर वेजिटेरियन होते हैं.इसाई धर्म के लोगों ने इन्हें नॉनवेज बना दिया है.आज आरक्षण का लाभ इसाई ले रहे हैं. आदिवासी इसमें पिछड़ जाते हैं.राज्य और केंद्र सरकार को इस पर ध्यान देने की जरुरत है,तभी हम लोग आदिवासियों को सुरक्षित रख सकते हैं.
वहीं जदयू के प्रदेश महासचिव श्रवण कुमार ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति समृद्ध है। एनडीए की सरकार ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया। जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। केंद्र में जनजातीय मंत्रालय का गठन किया गया। आदिवासियों को कल्याण के लिए केंद्र सरकार कई तरह की योजना चला रही है।

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