हम हैं खूंटी,नहीं बदल रही मेरी तस्वीर…
खूंटी: भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली खूंटी का इतिहास बहुत पुराना है। इस ऐतिहासिक भूमि का विकास करने की सब ने बड़ी बड़ी बातें की।लेकिन अबतक समुचित विकास नहीं हो पाया। यहां से पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष पद्मश्री कड़िया मुंडा लगातार कई टर्म से सांसद रहे। साथ ही स्थानीय विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा लगातार यहां का प्रीनिधित्व कर रहे हैं। इसके अलावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। इतने बड़े बड़े कद्दावर नेता होने के बावजूद खूंटी जिले का अबतक समुचित विकास नहीं हो पाया है। जबकि राज्य सरकार भी कई तरह की जन कल्याणकारी योजनाएं चलाकर विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रही है। आखिर इतनी सारी योजनाओं के बाद भी लोगों तक विकास क्यों नहीं पहुंच पा रही है।
खूंटी जिले के अड़की,मुरहू,खूंटी प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र और रनिया प्रखंड क्षेत्रों में अफीम की खेती हो रही है। पहाड़ के तराई क्षेत्रों में सैकड़ों एकड़ में इसकी खेती हो रही है। अफीम की खेती से किसानों को कम लागत में अधिक आमदनी होती है। यहां से दिल्ली,मुंबई,कोलकाता अफीम की सप्लाई की जाती है। कई व्यापारी तो खूंटी आकार माल ले जाते हैं।हालांकि अफीम खेती के खिलाफ पुलिस प्रशासन लगातार अभियान भी चला रही है। हाल के दिनों में वैसे कई क्षेत्रों में महिला किसान फल और सब्जियों की खेती करने लगी हैं।
अब शहर की बात करे तो यहां पर जाम की समस्या हमेशा रहती है। बाईपास का निर्माण अबतक नहीं होने से सभी भारी वाहन मैन रोड से ही गुजरती है। खासकर इंडियन आयल की भारी भरकम गाड़ियां दिन और रात चलती है। इससे अक्सर सड़क दुर्घटना होती है। इसमें कई बार स्कूली बच्चों और आम आदमी को जान गवानी पड़ी है। वहीं शिक्षा के क्षेत्र में कोई खास उपलब्धियां नहीं है। मजदूरों का पलायन लगातार जारी है। खेल के क्षेत्र में यहां से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई खिलाड़ी अपनी पहचान बना चुकी है।
पॉलिटिकल नेता दिलीप मिश्रा खूंटी के पुराने सामाजिक कार्यकर्ता हैं और लगातार जनहित के आवाज उठाते रहते हैं। दिलीप मिश्रा का मानना है कि यहां से भाजपा का सांसद और विधायक होने के बाद भी क्षेत्रों में समुचित विकास नहीं हो पाया है। सब अपनी अपनी जेबें भरने में लगे रहते हैं,विकास से कोई लेना देना नहीं है। सांसद और विधायक सिर्फ उद्घाटन और शिलन्यास में फोटो खिंचवाने का काम करते हैं। खूंटी का दुर्भाग्य है,इतने बड़े बड़े नेता होने के बावजूद यह हाल है।