एक राज्य में दो कानून स्वीकार्य नहीं: आलोक दूबे

रांची: आरटीई कानून 2019 में संवैधानिक संशोधन निरस्त करने की मांग को लेकर राज्य के रांची,देवघर, गिरिडीह, हजारीबाग ,चतरा पलामू, कोडरमा, जमशेदपुर,धनबाद, बोकारो , लोहरदग्गा, गोड्डा, गढ़वा सहित विभिन्न जिलों के 40 हजार गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों के प्रिंसिपल, डायरेक्टर,शिक्षक कर्मचारियों ने काला बिल्ला लगाकर व्यापक विरोध प्रकट किया एवं काला बिल्ला लगाकर शिक्षण कार्य किया।
प्रदेश पासवा अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे ने कहा 2009 में देश में लागू आरटीई कानून में झारखण्ड की भाजपा सरकार ने 2019 में जमीन की बाध्यता,कमरों का साइज़,एक लाख रुपये का एफडी,25 हजार रुपये शिक्षा अधिकारी के पॉकेट खर्च वहन करने जैसी कठिन शर्तों के साथ मान्यता हेतू संशोधन किया गया लेकिन वर्तमान सरकार ने इन सभी को नजर अंदाज करते हुए पिछले साढ़े तीन वर्षों से छोटे छोटे स्कूलों को मान्यता दी और उसी पर स्कूल चल रहे हैं, लेकिन वर्तमान शिक्षा सचिव भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और हर सप्ताह धमकी भरे पत्र कभी उपायुक्त के माध्यम से,कभी जैक बोर्ड के माध्यम से तो कभी शिक्षा के कर्मचारी के माध्यम से निजी विद्यालयों को दे रहे हैं जिसे लेकर काफी असंतोष है।
प्रदेश पासवा अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे सुबह से ही झारखंड के प्रत्येक जिले के निजी विद्यालयों के संचालकों और शिक्षकों के संपर्क में थे, उन्होंने आज के विरोध प्रदर्शन के बारे में बात करते हुए कहा कि आज 28 जुलाई को झारखंड के गैर मान्यता प्राप्त 40 हजार निजी विद्यालयों के प्राचार्य, शिक्षक,कर्मचारी राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ पूरे राज्य में काला बिल्ला लगाकर व्यापक विरोध दर्ज कर रहे हैं जिसका मुख्य कारण है कि शिक्षा सचिव पूरे राज्य में निजी विद्यालयों को डरा धमका रहे हैं, प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी निजी विद्यालय संचालकों को बुलाकर कठिन शर्तों के मुताबिक मान्यता नहीं होने पर विधालय बन्द करने की धमकी दे रहे हैं।जहां तक मान्यता के लिए आवेदन देने की बात है निजी विद्यालयों ने सभी गाइडलाइन का पालन करते हुए 2009 के आरटीई कानून के मातहत मान्यता के लिए आवेदन पहले ही दिया जा चुका है लेकिन वर्तमान शिक्षा सचिव बार-बार 2019 के संशोधित कानून के तहत मान्यता नहीं लेने पर विद्यालय बंद करने की धमकी दे रहे हैं। शिक्षा सचिव के तुगलकी फरमान को राज्य के निजी विद्यालय मानने से इनकार करते हैं। पासवा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री से इस पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा निजी विद्यालयों की राज्य में आवश्यकता है या नहीं यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए और अगर नहीं है तो अधिसूचना जारी हो जाए कि निजी विद्यालय हमेशा के लिए बन्द किए जाते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष श्री आलोक कुमार दूबे ने स्पष्ट तौर से कहा कि सरकार को यदि छोटे निजी विद्यालय चलने देने हैं इन कठिन शर्तों में दो शर्तों का अनुपालन किसी भी स्थिति में निजी विद्यालयों के लिए संभव नहीं है ।

  1. भूमि की बाध्यता पूर्ण रूप से समाप्त होनी चाहिए
    (मूल आरटीई में भूमि की कोई बाध्यता है भी नहीं और संपूर्ण राष्ट्र में भूमि के बाध्यता का कहीं कोई जिक्र आरटीआई कानून में नहीं है।)
  2. और दूसरी बात कमरे का साइज का कोई मापदंड मूल आरटीई में नहीं किया गया है।
    यह शर्तें तो जैक बोर्ड या सीबीएसई बोर्ड की एफीलिएशन के लिए लागू शर्तें है इसे यू डाइस और मान्यता के लिए क्यों लागू कर रही है सरकार?
    यह सर्च पिछली सरकार द्वारा संशोधन कर मूल आरटीई में जबरन सिर्फ झारखंड में जोड़ा गया और आश्चर्यजनक बात यह है कि इसे सिर्फ निजी विद्यालयों पर लागू किया गया सरकारी विद्यालयों को इन शब्दों से मुक्ति दी गई।
    तो फिर एक ही राज्य में सरकारी विद्यालय के लिए अलग और निजी विद्यालयों के लिए अलग शर्त क्यूं???
    और जो माननीय उच्च न्यायालय में यह मामला विचाराधीन है और माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया है कि मान्यता के प्रश्न पर निजी विद्यालयों पर कोई पीड़क कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है ऐसी स्थिति में मान्यता के लिए एक बार फिर आवेदन देने की बात कोर्ट की आदेश की अवमानना कर क्यूं दिया जा रहा है।
    विरोध प्रदर्शन में राज्य के लगभग सभी जिलों में पासवा के पदाधिकारियों ने काला बिल्ला लगाकर विरोध व्यक्त किया जिसमें रांची महानगर अध्यक्ष डॉ सुषमा केरकेट्टा, संजय प्रसाद ,अमीन अंसारी, राशिद अंसारी , अल्ताफ अंसारी , आलोक विपिन टोप्पो ,रूपेश कुमार, शुभोजीत अधिकारी मनोज कुमार भट्ट, चतरा के प्रदेश महासचिव नीरज कुमार ,जिला अध्यक्ष प्रवीण प्रकाश सिंह, नेसार अंसारी , बच्चन पांडे, धनबाद जिला के संयोजक व निजी स्कूल संचालक श्रीमती डोलेन चौधरी व मोहम्मद जिन्ना ,पूर्वी सिंहभूम जिला पासवा अध्यक्ष रमन झा, सुभाष उपाध्याय, जयंती देवी हजारीबाग से पासवा प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन कुमार , जिला अध्यक्ष ज्ञानेश्वर दयाल , मिंकू कुमार, मेघाली सेनगुप्ता , कोडरमा जिला अध्यक्ष व निजी विद्यालय संचालक बीएनपी वर्णवाल, देवघर जिला अध्यक्ष जया वर्मा , गिरिडीह पासवा सदस्य आयुष सिन्हा, श्रीमती सीमा बोस ,बोकारो जिला पासवा संयोजक अनामिका सिंह ,लोहरदगा जिलाध्यक्ष मजीद आलम , ज्ञान गंगा सिंह, पलामू जिला पासवा अध्यक्ष लक्ष्मीकांत तिवारी, गोड्डा जिला पासवा संयोजक राजेश कुमार शाह, गढ़वा जिला पासवा संयोजक व संचालक श्रीमती प्रतिमा चौधरी, गुमला जिला अध्यक्ष कल्याणी टेटे ने अपने अपने जिलों में व्यापक विरोध किया।
    पासवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद शमायल अहमद ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि राज्य के बच्चों के भविष्य को देखते हुए पिछली सरकार द्वारा लिए गए निर्णय को तुरंत समाप्त कर देना चाहिए और राज्य में चल रहे उहापोह की स्थिति बन्द होनी चाहिए। उन्होंने कहा देश के पैमाने पर झारखण्ड रोजगार देने में एक कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और युवाओं को हेमन्त सरकार से काफी उम्मीदें हैं। बच्चों को पठन पाठन का उचित माहौल मिलना चाहिए और शिक्षा के क्षेत्र में निजी विद्यालयों के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है।

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