झारखंड में गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन विषय पर दो दिवसीय सेमिनार 19-20. को
रांची: झारखंड के गौ संरक्षण और संवर्धन संरक्षण नीतियों के निर्धारण विषय पर गौ सेवा आयोग 19-20 जून को दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। यह सेमिनार हेसाग स्थित पशुपालन विभाग के सभागार में होगा।
सोमवार को इसकी तैयारियों की जानकारी देने को लेकर रांची प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया।
गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष राजीवरंजन प्रसाद ने कहा कि आगामी 19 जून एवं 20 जून 2025 को झारखंड गौ सेवा आयोग के तत्वावधान में प्रकृति की संतुलन एवं आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में गो सेवा के क्षेत्र में उभरती चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से वक्ता एवं प्रतिनिधि भाग लेने वाले हैं l
यह कार्यशाला गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन के दृष्टिकोण से झारखंड राज्य में नीति निर्धारण के दिशा में मिल का पत्थर साबित होगी l उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला गौ सेवा के महत्व वर्तमान चुनौतियों एवं संभावनाओं पर देश के प्रख्यात वक्ताओं के विचारों को सुनने एवं समझने का अवसर प्रदान करेगा जिससे प्रदेश के गौ पालक गौशाला संचालन में लगी समितियों एवं इस क्षेत्र में कार्यरत उद्यमियों को लाभ मिलेगा l इस दो दिवसीय कार्यशाला के मंथन से निकलने वाले सकारात्मक विचारों से भविष्य में हमारी गौशालायें आत्मनिर्भर बनेंगी ही साथ ही साथ झारखंड राज्य की गौ संरक्षण एवं संवर्धन नीति और अधिक सशक्त सिद्ध होंगी l उन्होंने कहा की गाय, हमारी संस्कृति में केवल एक पशु नहीं, बल्कि एक पोषक माता के रूप में पूजनीय रही है। उसके दूध से पोषण, गोबर से ईंधन और जैविक खेती, तथा मूत्र से आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण किया जाता है जिससे यह प्रमाणित होता है कि हमारी भौतिक, आध्यात्मिक एवं संस्कार निर्माण में गोमाता का योगदान अद्वितीय है। आप सभी इस बात से अवगत हैं कि आज की इस भागती दौड़ती जिन्दगी एवं 21वीं सदी के आम जनमानस में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में, बढ़ते हुए शहरीकरण एवं बदलती खान-पान की शैली एवं संस्कार में कहीं न कहीं हमारी गो सेवा की भावना पीछे छूट जा रही है। शहरों में बढ़ती दूध की मांग, मिलावटी व्यापार के कारण हमारी स्वदेशी नस्ल की गोमाताएं औद्योगिकीकरण की धारा से पीछे छूट गई है। नतीजतन आम जन-जीवन के स्वास्थ्य में गिरावट, शहरीकरण से संबधित स्वास्थ्य समस्या यथा थायरायड, बी पी, शूगर की समस्या अब हर घर की समस्या बन गई है।
इससे न केवल मानव स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है बल्कि पारिस्थितिक संकट भी उठ खड़ा हुआ है। आज हमारी मिटटी की उर्वरा शक्ति में तेजी से उत्पादन ह्नास देखने को मिल रहा है। मिटटी का स्वास्थ्य बिगड़ जाने से इससे जुड़े खाद्य चक्र प्रभावित हो रहा है। वनों की कटाई से भी पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है l झारखण्ड राज्य भी इससे अछूता नहीं है। गो सेवा आयोग के वर्तमान कार्यकाल में गौशालाओं की बैठकों एवं लगातार सभी जिलों के भ्रमण क्रम में चुनौतियों को पाया जो निम्नलिखित हैं और इसको लेकर कार्य आवश्यक हैं lदो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की के द्वारा दिनांक 19.05.25 को प्रातः 11.00 बजे किया जाएगा उद्घाटन सत्र में विभागीय सचिव अबु बकर सिद्दिकी एवं निदेशक पशुपालन श्रीमती किरण पासी भी शामिल रहेंगी l
वहीं गौ सेवा आयोग के उपाध्यक्ष राजू गिरी* ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकारों की उपेक्षा के कारण एवं गौ माताओं के संरक्षण के नाम पर सिर्फ राजनीति लाभ लेने की प्रवृत्ति से ये सारे कार्य उपेक्षित रहे वर्तमान सत्ताधारी गठबंधन की संवेदनशीलता एवं माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी की दूरदर्शिता का परिणाम है कि आज आयोग की पहचान सिर्फ अनुदान देनेवाली संस्था के स्थान पर राज्य के समग्र विकास में सहभागिता निभाने वाली संस्था के रुप में बनी है l
इस अवसर पर सचिव डॉ संजय प्रसाद, निबंधक डॉ मुकेश मिश्रा एवं पशु चिकित्सक डॉ प्रभात पांडे शामिल थे l

