छठ को लेकर सजा चुंदरू धाम, आज झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ से पहुंचेंगे हजारों व्रतियां
टंडवा (गणादेश) : जिले के टण्डवा प्रखंड के प्रसिद्ध चुन्दरू धाम में लोक आस्था का महापर्व छठ को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। यहां के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर का रंग-रोगन और साज-सज्जा विशेष तौर पर की जा रही है। चुंदरू धाम में छठ महापर्व को लेकर व्रतियों के अपार भीड़ उमड़ती है। यहां झारखंड बिहार से काफी संख्या में लोग छठ महापर्व करने पहुंचते हैं। चुंदरू धाम विकास समिति की ओर से इस बार छठ महापर्व को लेकर यहां विशेष तैयारी की जा रही है।वैसे तो कुदरत के दिए नक्काशीदर पत्थरों के डिजाइन के लिए पूरे जिले में ही नहीं बल्कि झारखंड सहित अन्य दूसरे राज्यों में यह स्थान प्रसिद्ध है। गेरूआ और चुन्दरू नदी के संगम स्थल पर इन नक्काशीदार पत्थरों के बीच कल-कल और छल-छल बहती पानी की धारों को तो देखने के लिए पूरे झारखंड राज्य भर के पर्यटक आते हैं लेकिन इसके साथ-साथ दूसरे राज्यों के भी पर्यटक इसे देखने के लिए मिलो दूरी तय कर पहुंचते हैं। लेकिन इन दो नदियों के संगम स्थल के तलहटी और प्रकृति की सुंदर वादियों के बीच स्थित चुन्दरू धाम सूर्य मंदिर की भी अलग मान्यता और विशेषता है। खासकर तब जब लोक आस्था और सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा की बात हो। कहा जाता है कि यहां प्राचीन काल से भगवान सूर्य की उपासना के साथ अर्घ्य दिए जाने की परम्परा चली आ रही है। प्राचीन काल से चले आ रहे इस परंपरा को प्रखंड के वासी तो निभा ही रहे हैं लेकिन विशेष मान्यताओं और महत्वताओं के कारण पूरे राज्य भर के लोग ही नहीं बल्कि बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे दूसरे राज्यों के भी श्रद्धालु सपरिवार यहां पहुंचकर चार दिवसीय छठ महापर्व को पूरे विधि विधान के साथ करते हैं। चुन्दरू धाम के विशेष मान्यताओं के कारण पूरे झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से सैकड़ो की संख्या में श्रद्धालु चार दिवसीय छठ महापर्व को करने के लिए पहुंचते हैं। लगातार चार दिनों तक यहां रहकर स्थानीय घाट से भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर अपनी मुरादें पूरी करते हैं। चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व के दौरान छठ मैया के गीतों से पूरा मंदिर परिसर गूंजायमान हो जाता है। इस बार झारखंड और बिहार के विभिन्न जिलों से करीब चार दर्जन छठ व्रतियों ने कमरा बुक करवाया है। जबकि एक सौ से अधिक श्रद्धालु पूरे परिवार के साथ छठ व्रत को करने के लिए मंगलवार पहुंचेंगे।
छठ व्रतियों के लिए ठहरने की है समुचित व्यवस्था : मंदिर प्रबंधन समिति
प्रखंड और जिले के विभिन्न हिस्सों के आलावे अन्य दूसरे जिलों और राज्यों से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने के लिए समुचित प्रबंध करवाया गया है। मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मिथिलेश गुप्ता ने बताया कि छठ महापर्व को लेकर मंदिर परिसर में बने कमरों को पहले से ही सभी छठ व्रतियों ने बुक कर लिया है। जिन कमरों में सभी छठव्रती चार दिवसीय छठ महापर्व को पूरे विधि विधान और भक्ति भाव के साथ करेंगे।
भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से होती है मनवांछित फलों की प्राप्ति : पूजारी
मान्यता है कि चुन्दरू धाम परिसर में भगवान सूर्य की उपासना और अर्घ्य देने से मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है। मंदिर के पुजारी भी बताते हैं कि कई दशकों से यहां पर भगवान सूर्य को उपासना के साथ अर्घ्य देने की परंपरा चली आ रही है। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल से चले आ रहे इस परंपरा को निभाने और अपने मनचाहे फलों की प्राप्ति के लिए पूरे झारखंड सहित दूसरे राज्यों के श्रद्धालु छठ पूजा करने के लिए यहां पहुंचते हैं।
1970 से पहले रखी गई थी मंदिर की नींव
मंदिर के निर्माण और स्थापना को लेकर स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि वर्ष 1970 से पहले मंदिर के स्थापना और निर्माण कार्य को लेकर नींव रखी गई थी। लेकिन ग्रामीणों और प्रखंड वासियों के लम्बे दिनों के सहयोग के बाद 20 मई 2005 को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करवाकर आम जनों को समर्पित किया गया। ग्रामीण बताते हैं कि मंदिर के निर्माण का भूमि पूजन करने वाले परिवार मंदिर के भूमि पूजन के बाद छत्तीसगढ़ चले गए।
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