भारत बंद का राजधानी रांची सहित आसपास के जिले में दिखा असर,जगह जगह बंद समर्थकों ने किया प्रदर्शन
रांची/खूंटी: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति व जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर दिए गए फैसले के खिलाफ बुधवार को कई संगठनों ने भारत बंद को सफल बनाने के लिए सड़कों पर उतरे। राजधानी रांची शहर के मेन रोड की अधिकांश दुकानें बंद रही। सड़कों पर वाहनों का आवागमन भी नहीं के बराबर रहा। जगह जगह बंद समर्थक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन करते दिखे। कई जगहों पर सड़क जाम कर दिया गया। इससे आवागमन बाधित रहा। खूंटी शहर की करीब करीब सभी दुकानें बंद रही। सड़कों पर वाहनों का आवागमन पूरी तरह से बंद दिखा।
भारत बंद को,जेएमएम,कांग्रेस बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियों ने भी बंद का समर्थन किया है. दरअसल, दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग को लेकर ये बंद कराया। दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए न्याय और समानता सहित मांगों की एक लिस्ट जारी की है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक फैसले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के बीच में ही अलग-अलग श्रेणियां बनाने की राज्य सरकारों को मंजूरी दी थी।कोर्ट ने कहा था कि आरक्षण का सबसे अधिक फायदा जरूरतमंदों को मिलना चाहिए। ऐसे में इस फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ ने भारत बंद का ऐलान किया है। कई संगठनों ने इस बंद का समर्थन किया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया गया है। क्योंकि कोर्ट के इस फैसले को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया था। कोर्ट से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है।
कोटे के भीतर कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन ने मांगों की एक सूची जारी की है, जिसमें अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए न्याय और समानता की मांग शामिल हैं. संगठन SC, ST और OBC के लिए आरक्षण पर संसद के एक नए अधिनियम के अधिनियमन की भी मांग कर रहा है, जिसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करके संरक्षित किया जाएगा.
NACDAOR ने सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों के जाति-आधारित डेटा को तत्काल जारी करने की भी मांग की है ताकि उनका सटीक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके. इसके अलावा समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों की भर्ती के लिए एक भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की भी मांग की जा रही है. जिसका लक्ष्य हायर ज्यूडीशियरी में SC, ST और OBC श्रेणियों से 50 फीसदी प्रतिनिधित्व लेना है। केंद्र और राज्य सरकार के विभागों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सभी बैकलॉग रिक्तियों को भरने का आह्वान किया है।