भगवान सूर्यदेव का एक ऐसा अनोखा सूर्य मंदिर जिसके द्वार पूर्व की बजाय पश्चिम की ओर है..

बिहार के औरंगाबाद जिले में भगवान सूर्यदेव का एक ऐसा अनोखा सूर्य मंदिर है, जिसके द्वार पूर्व की बजाय पश्चिम की ओर है। देव सूर्य मंदिर या फिर कहें देवार्क सूर्य मंदिर को त्रेतायुग का माना जाता है, जहां पर सात रथों पर सवार भगवान सूर्यदेव के तीन स्वरूप के दर्शन होते हैं। इसमें उदयाचल- उदित होते हुए, मध्याचल- अर्थात् दिन के मध्य समय और अस्ताचल- यानी अस्त हो रहे सूर्य का दर्शन होता है। इस सूर्य मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसका द्वार एक रात में अपने आप दूसरी दिशा की ओर बदल गया था।मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के पाटन नामक स्थान से 30 किलोमीटर दक्षिण की ओर मोढेरा गॉव में निर्मित है। यह सूर्य मन्दिर विलक्षण स्थापत्य और शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है। जिसे सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने 1026 ई. में बनवाया था। मोढेरा का सूर्य मंदिर दो हिस्से में बना है, जिसमें पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर को कुछ तरह से बनाया गया है कि सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें गर्भगृह में आती हैं। मंदिर के सभामंडप के पास ही सूर्यकुंड है। जिसे राम कुंड के नाम से जाना जाता है।देश के प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में कश्मीर में स्थित मार्तंड मंदिर अत्यंत ही प्रसिद्ध है। यह मंदिर कश्मीर के दक्षिणी भाग में अनंतनाग से पहलगाम के रास्ते में मार्तण्ड नामक स्थान पर है। मान्यता है कि इस सूर्य मंदिर को आठवीं सदी में कारकोटा वंश के राजा ललितादित्य ने बनवाया था। जिसे पंद्रहवी शताब्दी में सिकंदर बुतशिकन ने नष्ट कर दिया था। इस मंदिर में एक बड़ा सरोवर भी है।आंध्रप्रदेश में श्रीकाकुलम जिले के अरसावल्ली गांव से करीब 1 किमी पूर्व दिशा में भगवान सूर्य का लगभग 1300 साल पुराना भव्य मंदिर है। यहां पर भगवान सूर्य नारायण अपनी पत्नियों उषा और छाया के साथ पूजे जाते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां साल में दो बार सीधे मूर्ति पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है। मान्यता है कि यहां पर भगवान सूर्य की मूर्ति को कभी कश्यप ऋषि ने विधि-विधान से प्रतिष्ठित किया था। इस मंदिर में भगवान सूर्यदेव के दर्शन मात्र से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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