माता पिता की सेवा ही मनुष्य का* *सबसे बड़ा धर्म :स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज

सोनवर्षा(चरपोखरी) भोजपुर जिले के चरपोखरी में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में गुरुवार को भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा!जहां प्रवचन सुनने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।वहीं भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन अनंत विभूषित कथा ब्यास श्री रंगनाथाचार्य जी महाराज ने दिव्य प्रवचन के माध्यम से उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि जीवन में मनुष्य के प्रथम देवी-देवता माता-पिता ही होते हैं।जिन्होंने माता-पिता की सेवा नहीं की उनका जीवन व्यर्थ हो जाता है।जिस मानव में संस्कार नहीं होते हैं।वे मनुष्य तन पाकर भी पशु के समान्य ही होते हैं। अतः माता पिता की सेवा सबसे बड़ी पूजा है।भागवत कथा जीवन जीने की
सबसे बेहतरीन शैली है।जीवन में संस्कार को कभी त्यागना नहीं चाहिए।यही जीवन की आधार स्तम्भ होती है।भागवत कथा का रस जिनके हृदय के अयोध्या तक पहुंच जाती है। वे जीवन के सारे कार्य को ताक पर रख कर भगवत कथा के स्वाद की ओर उन्मुख हो जाते हैं।पूज्य महाराज जी ने सृष्टि की उत्पति के बड़े सुंदर मनमोहक प्रसंग सुनाए।दिव्य प्रवचन सुनने के लिए श्रद्धालु श्रोताओं से कथा मंडप भरा हुआ था।उक्त कथा ज्ञान यज्ञ में हर रोज ब्यासपीठ की आरती के बाद श्रद्धालु भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाता है।वही हर रोज मंदिर प्रांगण में भंडारे का भी प्रसाद लोग ग्रहण करते हैं।इस मौके पर मठिया को काफी सुंदर तरीक़े से सजाया गया है। इस आशय की जानकारी आयोजन समिति के मीडिया प्रभारी चंदन कुमार ने दी।

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