पवित्रता और भाईचारे का पर्व है रक्षा वंधन : ब्रह्माकुमारी रंजू दीदी

मधेपुरा। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आलमनगर गैस एजेंसी रोड,मधेपुरा के तत्वधान में स्थानीय ओम शांति केंद्र पर शनिवार को संगठित रूप में अलौकिक रक्षाबंधन का कार्यक्रम भव्य रूप में मनाया गया। रक्षाबंधन के आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए मधेपुरा क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी जी ने अपने उदबोधन में कहीं कि रक्षाबंधन सभी पर्वों में एक अनोखा पर भी नहीं बल्कि भारत की संस्कृति तथा मानवीय मूल्यों को उजागर करने वाला अनेक आध्यात्मिक रहस्य को प्रकाशित करने वाला और भाई बहन के वैश्विक रिश्ते की स्मृति दिलाने वाला एक परमात्मा उपहार है। इस पर्व पर रक्षा सूत्र बांधने से पूर्व बहन अपने भाई के मस्तक पर चंदन का तिलक लगाती है। जो शुद्ध ,शीतल और सुगंधित जीवन जीने की प्रेरणा देता है। तिलक दाएं हाथ से किया जाता है। तथा राखी दाएं हाथ पर बांधी जाती है। यह विधि हमें यह प्रेरणा देती है, कि हम सदा राइट अर्थात सकारात्मक चिंतन करते हुए राइट अर्थात श्रेष्ठ कर्म ही करें। जिससे आत्मा कनिष्ठ परिणामों से दुखी व शांत होने से सुरक्षित रहेगी। मिठाई खिलाने के पीछे भी मन को और संबंधों को मीठा बनाने का राज भरा है।

स्थानीय सेवा केन्द्र संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी अर्चना दीदी ने कहा कलाई पर बाधने बाले कच्चे धागे में विश्व के नवनिर्माण के 5 सूत्र समाए हुए हैं.. स्नेह सूत्र, रक्षा सूत्र, ईश्वरीय सूत्र, परिवर्तन सूत्र, पवित्रता सूत्र।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा गोपाल कृष्ण सहाय जी ने अपने उदबोधन में कहा की ज्ञान की कमी के कारण वर्तमान समय मानव के अंदर काम, क्रोध, लोभ, मोह ,अहंकार, ईर्ष्या, घीरना ,नफरत आदि राक्षसी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। जिसका कारण समाज में दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। उन्होंने बताया अगर हमने अपने भारतीय पुरानी सभ्यता, संस्कार, परंपराएं, पूर्व जनों की संस्कृति, सत्संग के माध्यम से फैलाई नहीं तो इस समाज में चलना ,रहना, बैठना ,उठना जीना बड़ा कठिन महसूस होगा ।उन्होंने जीवन मे सत्संग का महत्व बताते हुए कहा कि सत्संग के द्वारा प्राप्त ज्ञान ही हमारी असली संपत्ति है। सत्संग के माध्यम द्वारा प्राप्त शक्तियां, सद्गुण, विवेक द्वारा हम अपने कर्मों में सुधार ला सकते हैं। उन्होंने बताया कि सत्संग द्वारा प्राप्त शक्तियां, सद्गुण की कमाई को ना तो चोर लूटता है, ना ही आग जलाती है ,नहीं पानी डूबाता है ।यह तो हमारे साथ जाने वाली असली संपत्ति है।इसका प्राप्त करने से ही जन्म जन्मांतर हम महान बन सकते हैं। ऐसे कमाई को प्राप्त करने के लिए भी हम अपना समय देना चाहिए। सत्संग से प्राप्त ज्ञान द्वारा ही हम अपने जीवन को सकारात्मक बना कर तनावमुक्त जी सकते हैं। ब्रम्हाकुमारीयों के द्वारा किए गए कार्यों का सराहना किया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सेवा निवृत लखन महाराज जी ने कहा कि वर्तमान की इस तनावपूर्ण युग में स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा इस धरती पर अवतरित हो चुके हैं सहज ज्ञान और राजयोग के अभ्यास द्वारा और सकारात्मक विचार की कला द्वारा तनाव मुक्ति का जीवन सिखा रहे हैं उन्होंने बताया कि राजयोग के अभ्यास द्वारा हम अपने इंद्रियों को काबू में ला सकते हैं मन के सकारात्मक विचार द्वारा अपने मनोबल को आत्मबल को बढ़ा सकते हैं।

इस अवसर पर मधेपुरा से आई हुई राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी दुर्गा दीदी जी ने राजयोग के विधि बताते हुए कहा कि स्वयं को आत्म का निश्चय कर चांद ,तारागन से पार रहने वाले परम ज्योति परमात्मा को मन बुद्धि से याद करना ।उनके गुणों का गुणगान एवं उपकारों में खो जाना ही राजयोग है। उन्होंने बताया कि जब तक हम परमात्मा के शरण में नहीं जाते हैं। तब तक विकारों से छुटकारा मिलना मुश्किल है। उन्होंने बताया है कि मनोविकार ही मानव के जन्मजात शत्रु है।

कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी किया ।मौके पर डा गोपाल कृष्ण सहाय, लखन महाराज, संजय कुमार, मुकेश कुमार,कमल किशोर भाई, प्रभात कुमार, सुरेश यादव, बिनोद कुमार, राजेश कुमार,अखलेश कुमार, सोनी देवी, बिना देवी , चंचल देवी, सुनीता देवी, ब्रह्माकुमारी अर्चना बहन, दुर्गा बहन, तनुजा बहन, मुस्कान बहन ,साक्षी बहन, ब्रह्माकुमार शशि रंजन भाईजी,ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी इत्यादि सैकड़ों श्रद्धालु को कलाई में रक्षा सूत्र बाध कर बुराई छोड़ने का प्रतिज्ञा भी कराई ।रिपोर्ट अनमोल कुमार

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