बारिश के लिए ‘इंद्रदेव’ से गुहार, किसानों ने की इंद्रायण की पूजा
चतरा : रूठे इंद्र भगवान को मनाने के लिए अब किसानों ने भगवान इंद्र की पूजा-अर्चना शुरू की है। बल्कि उन्हें मनाने के लिए हर पौराणिक परंपराएं निभाई जा रही है। शुक्रवार को जिले के पत्थलगडा प्रखंड के ग्राम दुम्बी में बारिश नहीं होने से परेशान किसानों ने भगवान इंद्रायण की पूजा की। किसानों ने भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए पौराणिक परंपरा के अनुसार पूरी विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर भगवान इंद्र का दूध से अभिषेक किया। मौके पर उन्हें गाय के दूध में बने खीर का भोग लगाया गया। आचार्य मदन पाण्डेय, पंडित अक्षयवट दयाल शर्मा, चेतन पाण्डेय, नरेश पांडेय, पुरोहित संतोष पाठक, ब्रह्मदेव पाण्डेय व अन्य के नेतृत्व में विधिवत पूजा अर्चना की गई। आचार्य के वैदिक मंत्रोच्चारण कर भगवान की विधिवत पूजा अर्चना के करवाई। उसके बाद भगवान का दुग्धाभिषेक हुआ। दुग्धाभिषेक में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। तत्पश्चात हवन व पूर्णाहुति हुई। फिर भगवान की महाआरती उतारी गई। मौके पर भगवान को 151 किलो खीर का भोग लगाया गया। इससे पूर्व 24 घंटे का अखंड हरिकीर्तन का आयोजन किया गया। अखंड हरिकीर्तन में महिला, पुरुष, बच्चे व श्रद्धालुगण 24 घंटे तक हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे के भक्ति रस पर खूब थिरके। ग्राम दुम्बी में इंद्रायण की पूजा करीब सौ साल से की जा रही है। यह परंपरा यहां आज भी जीवंत है। शुक्रवार को ग्रामीणों ने भगवान इंद्रायण की पूजा अर्चना कर रूठे इंद्र को मनाने की कोशिश की। भजन कीर्तन और महा आरती कर उन्हें रीझाया। बताते चले क्षेत्र में बारिश नहीं होने से सावन का महीना बीत जाने के बावजूद ताल तलया पोखर सभी खाली पड़े हैं। खेत-क्यारियों में दरार पड़ गए हैं। धान के फसल लगने से पहले पीले पड़ने लगे हैं। बारिश नहीं होने से किसने की परेशानियां बढ़ने लगी है। बेहतर बारिश के लिए उनकी हर दुआएं जब फेल होने लगे तब उन्होंने भगवान इंद्र को मनाना शुरू किया है। अनुष्ठान के दरमियान भगवान को रिझाने के लिए महिलाओं ने कई पारंपरिक गीत गाए। हवन पूर्णाहुति के बाद भंडारा का भी आयोजन हुआ। भारी संख्या में श्रद्धालु गण प्रसाद पाए और बेहतर बारिश की कामना की।