आविष्कारक व्यक्तित्व के थे कवि पवन श्रीवास्तव

अनूप सिंह
पटना/आरा।भोजपुर जिले के सरदार पटेल बस पड़ाव स्थित भिखारी ठाकुर सांस्कृतिक मंच के बैनर तले रविवार को कवि पवन श्रीवास्तव की श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई। समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पवन जी आविष्कारक व्यक्तित्व के थे। तभी तो समाज के विभिन्न विचार धाराओं के बीच उनकी मजबूत पैठ थी। उनका हिंदी साहित्य से जितना लगाव था उतना ही उनकी भोजपुरी से।कई वक्ताओं ने कहा कि जब हरीगांव(जगदीशपुर) में मॉरीशस के प्रधानमंत्री आए थे। तो उनके नेतृत्व में लिखित गीत “घर में ना सुई डोरा,फ़टल चुनरी मोरा” की रिकॉर्डिंग व्यास कमलेश पासवान की आवाज में कराके गवाया था। वहीं वक्ताओं ने यह भी कहा कि जब से वे गोविंदाचार्य के निकट आए।वे उनकी पार्टी राष्ट्रीय जन आंदोलन के राष्ट्रीय सचिव बनाए गए। तब से उनके व्यक्तित्व में और ज्यादा निखार आ गया।वक्ताओं ने कहा की वे जेपी सेनानी के साथ साथ एक विशिष्ट कोटि के उद्घोषक थे। स्व पवन जी ने कुंवर सिंह पर एक नाटक भी लिखा था।कभी कभी रचनाओं को लेकर वे वरिष्ठ साहित्यकार आरा के निलय उपाध्याय के प्रदर्शक की भूमिका में आ जाते थे।
श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवानिवृत शिक्षक डॉ योगेंद्र सिंह ने की।वहीं संचालन करते हुए पत्रकार नरेंद्र सिंह ने कहा कि भिखारी ठाकुर सांस्कृतिक मंच से भी उनका जुड़ाव था।
भिखारी ठाकुर सामाजिक शोध संस्थान द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सभा को वरिष्ठ रंगकर्मी चंद्रभूषण पांडेय,जदयू वरिष्ठ नेता सुशील तिवारी,साहित्यकार जनार्दन मिश्र,मणि भूषण श्रीवास्तव,रंगकर्मी रंजन यादव, कवियत्री डॉ किरण कुमारी, डॉ एस के विष्णु,शोध संस्थान सचिव पुष्पेंद्र सिंह,विजय बहादुर सिंह,सचिन सिन्हा आदि ने संबोधित किया।श्रद्धांजलि सभा के पूर्व स्व श्रीवास्तव के तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर दो मिनट का मौन रखा गया।

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