पार्ट टूः आइएएस पूजा सिंघल का कारनामाः गबन के मामले में 16 एफआइआर दर्ज किया गया, फिर भी मिल गई क्लीन चिट
आर्टिकल ऑफ चार्जेस इंप्यूटेशन ऑफ मिसकंडक्ट एवं मिसबिहेवियर
रांचीः झारखंड कैडर की आइएएस पूजा सिंघल ने झारखंड की ब्यूरोक्रेशी में काला धब्बा छोड़ दिया है। कभी झारखंड की ब्यूरोक्रेशी का गोल्डन पीरियड भी रहा। झारखंड कैडर के आइएएश अफसरों मे ब्यूरोक्रेशी के सर्वोच्च पद को सुशाोभित किया। राजीव गौवा केंद्र में कैबिनेट सेक्रेट्री बने। अमित खरे, निधि खरे, अलका तिवारी, एनएन सिन्हा, इंदू शेखर चतुर्वेदी, एसकेजी रहाटे सहित अन्य अफसरों ने राज्य के साथ केंद्र में भी अपनी पहचान बनाई। लेकिन पूजा सिंघल के कारनामे ने पूरे ब्यूरोक्रेशी के महकमे पर ब्लैक स्पॉट की छाप छोड़ दी। खूंटी की डीसी रहते हुए कई अनियमितताएं बरती। फिर भी क्लीन चिट मिल गया। गणादेश की पेश है खास रिपोर्ट………..
क्या बरती थी खंटी में अनियमितता
पूजा सिंघल तत्कालीन डीसी खूंटी के विरुद्ध विभागीय ज्ञापन संख्या 2588 13 मार्च 2014 के द्वारा उपायुक्त खूंटी के रूप में पदस्थापन अवधि में बढ़ती गई अनियमितता के लिए आर्टिकल ऑफ चार्जेस इंप्यूटेशन ऑफ मिसकंडक्ट एवं मिसबिहेवियर तथा साक्ष्यों की तालिका निर्गत की गई। जिसमें पूर्व के अग्रिम कुल 15 करोड़ 72 लाख रुपए के समायोजन के बिना ही विभिन्न तिथियों में 10 करोड़ पांच लाख अग्रिम दिया गया। निलंबित कनीय अभियंता विनोद प्रसाद सिन्हा से कार्य लिया गया। मनरेगा के दिशा निर्देशों की अवहेलना करना पद का दुरुपयोग किया गया। एक ही कार्य विभाग को कार्य दिया गया। जिन के कार्य के संदर्भ में गबन के मामले में 16 प्राथमिकी दर्ज की गई फर्जी कार्यों की स्वीकृति देना इस मामले में कार्मिक विभाग के संकल्प संख्या 2656 के द्वारा पूजा सिंघल के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही के संचालन के लिए अमरेंद्र प्रताप सिंह को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया। इस विभागीय कार्यवाही में उपस्थित पदाधिकारी के रूप में उपायुक्त को उपर स्थापन पदाधिकारी नियुक्त किया गयाय़ अमरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा विभागीय कार्यवाही के संचालन के उपरांत जांच प्रतिवेदन समर्पित किया गया जिसमें पूजा सिंघल के विरुद्ध गठित सभी आरोपों को प्रमाणित नहीं माना गया और आरोपों से मुक्त करते हुए उनके विरुद्ध चलाई जा रही विभागीय कार्रवाई को समाप्त करने का निर्णय लिया गया कार्मिक का आदेश 27 फरवरी 2017 को जारी किया