बिहार में नीतीश कुमार ने रचा इतिहास,चाणक्य नीति से पूरे देश को दिया नया सन्देश
अनूप कुमार सिंह
पटना।”जब भी चाहें अपनी नई दुनियां बसा लेते हैं,राजनीतिक लोग!एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं, राजनीतिक लोग!यह कहावत बिहार की राजनीति पर पूरी तरह से फिट बैठता है।जी हां!बिहार की राजनीति में पुनः नीतीश कुमार ने बड़ा खेल दोहराया है!राज्य के महागठबंधन और देश में इण्डिया गठबंधन को छोड़ कर बिहार में पुनः बीजेपी के साथ बड़ा उलटफेर जारी है।जानकर सूत्रों कि मानें तो नीतीश कुमार ने पूरे देश में राजनीति कि परिभाषा अपने हिसाब से बदल दिया है। ऐसे भी कहा जाता है कि राजनीति में दोस्त _दुश्मन स्थाई नहीं होते हैं।नीतीश कुमार ने बिहार में अपने बेहतरीन राजनीतिक समझ से कई बार पूरे देश में तमाम अटकलबाजी को विराम देते हुए नया इतिहास रचा है।दिलचस्प बात तो यह है कि नीतीश कुमार और बीजेपी के साथ कई दिनों से आपसी खिचड़ी पक रही थी।लेकिन किसी भी इतना बड़ा उलटफेर का अनुमान नहीं हो रहा था।जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाल कर नीतीश कुमार ने पहले ही एक बड़ा संकेत दे दिया था।इस कूटनीतिक योजना से नीतीश कुमार ने जहां अपनी पार्टी में अंतर्कलह व बड़ी फूट को सहज तरीके से विराम दे दिया।वहीं इण्डिया गठबंधन के सबसे बड़े दल कॉग्रेस और राजद को भी अपने निराले अंदाज से बैकफुट पर लाने के संकेत दिए।पिछले 22 फरवरी को अयोध्या में रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा के बाद अचानक बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया।जैसे ही मोदी सरकार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की,नीतीश कुमार ने बिना समय गंवाए पीएम नरेंद्र मोदी को मीडिया के जरिए बधाई देते हुए बीजेपी के साथ जाने का संकेत दे दिया।बिहार में पल पल बदलते समीकरण में नीतीश कुमार ने अपने निराले अंदाज में सभी दलों को चौंका दिया है।