पेसा कानून अनुसूचित क्षेत्र की आत्मा विषय पर मारंगहदा, डाड़ीगुटू एवं तिलमा पंचायत में बैठक
खूंटी :पेसा कानून अनुसूचित क्षेत्र की आत्मा ” विषय पर मारंगहदा, डाड़ीगुटू एवं तिलमा पंचायत के ग्रामीणों की बैठक आज डाड़ीगुटू बाजार टांड़ में जोरदा पड़हा राजा फूलचंन्द मुंडा की अध्यक्षता में हुई।
बैठक में उपस्थित झारखण्ड उलगुलान संघ के संयोजक अलेस्टेयर बोदरा ने अपने सम्बोधन में कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में पारम्परिक ग्राम सभा को आदिवासी स्वशासन का महत्वपूर्ण प्रशासनिक ईकाई का मान्यता देने की अनुशंसा भूरिया समिति ने किया था, जिसे पेसा कानून १९९६ के रूप में संसद द्वारा पारित किया गया है। झारखण्ड प्रदेश में इस विशेष कानून को ठोस रूप से लागू करने को लेकर नियमावली तैयार करने में झारखण्ड सरकार आनाकानी कर रही है।
मसीहदास गुड़िया ने कहा कि दो महीना में पेसा कानून लागू करने के झारखण्ड हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी झारखण्ड सरकार का गम्भीर नहीं होना चिन्ता का विषय है।
जोन जुरसेन गुड़िया ने अपने सम्बोधन में कहा कि पेसा कानून का अब तक नियमावली तैयार नहीं किये जाने के पीछे आदिवासी अस्तित्व को समाप्त की सोची समझी साजिश है।
युवा अगुवा बेनेडिक्ट नवरंगी ने कहा कि झारखण्ड पंचायत राज अधिनियम २००१ अनुसूचित क्षेत्र के विशेष संवैधानिक प्रावधान का अतिक्रमण है इसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
बैठक में सलाए बजराय, राम मुंडा, एतवा मुंडा, पतरस टुटी, घासीराय मुंडा, मरकस मुंडा, डारू मुंडा, सिंगराय मुंडा, सोमरा मुंडा, लेदा मुंडा एवं पौलुस मुंडा सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे।