जनजातीय विभाग में घूमधाम से मना प्रकृति पर्व सरहुल,मेयर आशा लकड़ा,कुलपति कामिनी कुमार सहित कई लोग हुए उपस्थित

रांची : प्रकृति पर्व सरहुल राजधानी रांची सहित पुरे झारखण्ड में धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय विभाग में सरहुल महापर्व की धूम रही. पुरे विधि विधान से सखुआ के पेड़ की पूजा पाहन के द्वारा हुई. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि रांची की मेयर आशा लकड़ा,कुलपति कामिनी कुमार का पारंपरिक ढंग से स्वागत किया गया.

मौके पर मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि सरहुल भारत ही नहीं पुरे विश्व में मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज प्रकृति की पूजा करते हैं. आज से नूतन वर्ष का आगाज हो रहा है. इस दिन सखुआ की हमलोग पूजा करते हैं.यह तीन दिनों तक कार्यक्रम चलता है.वहीं कुलपति कामिनी कुमार ने सरहुल की सभी को शुभकामनाएं दी. साथ ही कहा कि जनजातीय विभाग में पिछले कई वर्षों से बड़े उत्साह और उल्लास के साथ सरहुल मनाया जाता है.

उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पिछले 2 वर्षों से समारोह का आयोजन नहीं हुआ. लेकिन पूजा-अर्चना जरूर की गई. इस वर्ष समारोह का भी आयोजन हो रहा है. जहां लोग जमकर उत्सव मना रहे हैं.  इसके अलावा कार्यक्रम में उपस्थित अन्य लोगों ने भी अपने-अपने विचार रखे. कई विदेशी मेहमान भी सरहुल महोत्सव का आनंद लेने पहुंचे. 

महोत्सव के दौरान घंटों नृत्य संगीत का दौर चला. समारोह का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का गीत और नृत्य. इसे विभाग के छात्र-छात्राओं ने प्रस्तुत किया. ढोल मांदर की थाप पर थिरकते कदमों ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया. पारंपरिक जनजातीय परिधानों में सजे धजे युवाओं ने नृत्य की मस्ती के साथ-साथ संस्कृति के लिए अपना लगाव व्यक्त किया. पूजा के दौरान सर्व कल्याण की कामना की गई.

इसके अलावा कार्यक्रम में उपस्थित अन्य लोगों ने भी अपने-अपने विचार रखे.  

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