भीषण गर्मी को देखते हुए निजी विद्यालय17 जून तक बंद कराने का पासवा ने लिया फैसला

रांची :पासवा की बैठक रविवार को प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दूबे की अध्यक्षता में हुई भीषण गर्मी को देखते हुए निजी विद्यालय 17 जून तक बन्द रखने का निर्णय लिया गया है एवं 19 जून से स्कूल खोलने का आग्रह राज्य के सभी निजी विद्यालयों से किया गया है।पासवा कार्यालय में हजारों अभिभावकों ने आकर गर्मी छुट्टियां बढ़ाने की मांग की है एवं सूबे प्रांत से दूरभाष पर लोगों ने संपर्क किया है।वहीं कई निजी व सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों एवं सामाजिक व राजनीतिक दलों ने भी पासवा से स्कूलों के ग्रीष्मावकाश बढ़ाने की मांग की है।
   पासवा अध्यक्ष ने कहा पूरे राज्य में भीषण गर्मी का कहर है,सुबह 9 बजे से ही गर्म हवाऐं एवं लू चल रहे हैं,पूरे राज्य में 42 से 44 डिग्री तापमान है। गर्मी का आलम यह है कि सरकारी एवं निजी नर्सिंग होम में मरीजों को रखने की जगह नहीं है।कल 12 जून से सभी स्कूल खुलने वाले हैं।पासवा राज्य के सभी निजी विद्यालय संचालकों से आग्रह करती है कि बच्चों और अभिभावकों की सेहत और उनकी सुरक्षा सबसे पहले है,क्योंकि हमारे बच्चे अगर बीमार पड़ते हैं तो यह अफसोस की बात होगी और अभिभावक भी कहेंगे कि इतनी तपती गर्मी में भी स्कूल संचालकों ने बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में नहीं सोचा।अत: ऐसी स्थिति में विद्यालय खोलना,छोटे बच्चों को विद्यालय आने के लिए विवश करना निश्चित रूप से जानलेवा साबित होगा।
पासवा ने राज्य के लाखों बच्चों एवं अभिभावकों के हितों में  राज्य के सभी निजी विद्यालय संचालकों से आग्रह किया है कि राज्य के सभी निजी विद्यालय 17 जून तक बन्द रहेंगे एवं 19 जून से स्कूल खुलेंगे।पासवा राज्य के सभी अभिभावकों एवं बच्चों से निवेदन करती है कि अगर बहुत इमरजेंसी हो तभी घरों से बाहर निकलें। आलोक दूबे ने कहा शिक्षा सचिव की सोच और हरकत गैर जिम्मेदाराना है और ऐसे ही अधिकारियों की वजह से सरकार की किरकिरी होती है।

बैठक में 10 वीं एवं 12 वीं में 80 प्रतिशत और उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले सीबीएसई, आईसीएसई,जैक बोर्ड के विधार्थियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है।पासवा राज्यस्तरीय छात्र प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित कर 15 हजार से अधिक बच्चों को जुलाई के पहले सप्ताह में सम्मानित किया जाएगा। आलोक दूबे ने कहा पिछले वर्ष 8 अगस्त को पासवा ने 10 हजार से अधिक बच्चों को सम्मानित कर कीर्तिमान स्थापित किया था।इस वर्ष 15 हजार बच्चों को सम्मानित करने का लक्ष्य रखा गया है जो इस देश का अबतक का सबसे बड़ा सम्मान समारोह होगा। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पासवा कार्यालय में 15 जून से प्रारंभ हो जाएगी। आलोक दूबे ने कहा झारखण्ड राज्य के छात्र छात्राओं के लिए बड़े गौरव की बात होगी जिन्होंने कड़ी मेहनत एवं निष्ठा के साथ परीक्षा में सफल हुए हैं,ऐसे छात्रों का मनोबल बढ़ाने एवं उन्हें सम्मानित करने के लिए पासवा राज्य के सभी गणमान्य अतिथियों को आमंत्रित करेगी।

बैठक में लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को मान्यता देने हेतू जमीन की बाध्यता कानून एवं पिछली सरकार द्वारा लागू 2019 आरटीई संशोधन कानून जिसमे मध्य विद्यालय वर्ग कक्षा 1 से 8 तक के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 1 एकड़ और शहरी क्षेत्रों में 75 डिसमिल जबकि प्राथमिक विद्यालय वर्ग कक्षा 1 से 5 तक के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 60 डिसमिल और शहरी क्षेत्रों  में 40 डिसमिल जमीन की बाध्यता की गई है जो सरासर ग़लत है।
मूल आरटीई कानून में जमीन की बाध्यता नहीं है
उसमें  सर्वकालिक भवन की बात की गई है अर्थात विद्यालय के पास एक ऐसा भवन होना चाहिए जो सर्दी, गर्मी तथा बरसात तीनों मौसम में बच्चों की पढ़ाई हो।पासवा का मानना है कि शिक्षा सचिव के रवि कुमार छोटे छोटे निजी स्कूलों को रघुवर दास के तर्ज पर समाप्त करने का संकल्प लें चुके हैं।पासवा मुख्यमंत्री से मांग करती है कि.जमीन की बाध्यता शब्द को विलोपित व पूर्णरूपेण समाप्त किया जाना चाहिए।. जमीन की न्यूनतम अथवा अधिकतम सीमा  समाप्त की जानी चाहिए।विद्यालय की मान्यता के लिए मूल आरटीई में वर्णित प्रावधान *सर्वकालिक भवन की बाध्यता की जानी चाहिए* जो विद्यालय के ट्रस्ट अथवा सोसाइटी के नाम से रजिस्टर्ड हो अथवा लीज पर हो।जमीन के प्रश्न पर सरकारी विद्यालयों और निजी विद्यालयों के लिए एक ही मापदंड पर मान्यता दी जानी चाहिए, दोहरा मापदंड नहीं चलेगा।
पासवा महासचिव संजय प्रसाद ने कहा पिछली रघुवर सरकार झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने के लिए 5 हजार से अधिक सरकारी विद्यालयों को बंद किया गया तथा हजारों छोटे निजी विद्यालय बंदी के कगार पर थे। वर्तमान शिक्षा सचिव रघुवर दास के इशारे पर छोटे स्कूलों को बंद करने की साज़िश कर रहे हैं ताकि पूंजीपतियों को सहायता मिल सके।
आलोक दूबे ने कहा सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई नां के बराबर होती है।और इसलिए शिक्षा सचिव छोटे स्कूलों को बंद करना चाहती है जो संभव नहीं है।
वर्तमान समय में  हमारे  लोकप्रिय मुख्यमंत्री झारखंड में शिक्षा के विकास के लिए पूर्ण समर्पित हैं तथा वित्त मंत्री व पूर्व आईपीएस अधिकारी झारखंड के शिक्षा व्यवस्था को हजारों दलित, गरीब, आदिवासी बच्चों तक पहुंचाना चाहते हैं तथा झारखंड की शिक्षा व्यवस्था को भारत के मानचित्र पर स्थापित करना चाहते हैं।
संपूर्ण भारत में लागू नियम भारत सरकार द्वारा मूल आरटीई अधिनियम 2009 एवं राज्य सरकार द्वारा जारी मूल आरटीई अधिनियम 2011 के तहत झारखंड में विद्यालयों को मान्यता  दे, तथा 2019 के संशोधन को निरस्त किया जाए, ताकि झारखंड में लगभग 40,000 गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को मान्यता मिलने का मार्ग प्रशस्त हो  सके।
बैठक में पासवा उपाध्यक्ष लाल किशोर नाथ नामदेव,संजय प्रसाद, आलोक बिपीन टोप्पो,राशीद अंसारी,मनोज कुमार भट्ट, फिरोज रिजवी मुन्ना, कुमुद रंजन,रुपेश कुमार,अमीन अंसारी,माजिद आलम, अल्ताफ अंसारी मुख्य रुप से उपस्थित थे।

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