04 अक्टूबर मंगलवार का राशिफल एवम पंचांग
मेष: आज आप एकांत पसन्द नहीं करने वाले हैं , अधिकतर समय घर परिवार व संबंधियों के साथ व्यतीत होगा। जिससे आपसी संबंधों में और अधिक नजदीकियां आएंगी। इस समय ग्रह स्थिति कुछ लाभदायक परिस्थितियों का निर्माण कर रही है, इसलिए समय का भरपूर सदुपयोग करें। स्वाथ्य सुधार होगा लेकिन हल्की थकान महसूस कर सकते है।
वृष: आज रचनात्मक कार्यों तथा पठन-पाठन में विशेष रूचि रहेगी। ताजगी का अनुभव होता रहेगा । चल रही किसी पुरानी समस्या का हल मिलने से बहुत अधिक सुकून महसूस करेंगे। परिवार के बड़े बुजुर्गों के प्रति सेवा भाव रखें तथा उनके मार्ग दर्शन को अपने जीवन में जरूर अपनाएं। आध्यात्मिक रूचि और बढेगी।
मिथुन:आज धन प्राप्ति के योग प्रबल हैं । कोई शुभ सूचना प्राप्त होगी। इसलिए मीडिया तथा संपर्क सूत्रों संबंधी गतिविधियों में अपना ध्यान विशेष रूप से केंद्रित रखें। धार्मिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्र के प्रति भी आपका रुझान बना रहेगा। जिससे आप अपने आपको मानसिक रूप से बहुत अधिक स्वस्थ महसूस करेंगे। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
कर्क:आज किसी भी फोन कॉल को नजरअंदाज ना करें, क्योंकि कोई महत्वपूर्ण सूचना मिल सकती है। मार्केटिंग व मीडिया से संबंधित कार्यों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित रखें। ये गतिविधियां आपकी आर्थिक स्थिति के लिए भी बहुत अधिक लाभदायक साबित होंगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से सुधार होगा । मन शान्त रखें।
सिंह:आज का दिन पारिवारिक और आर्थिक दोनों दृष्टि से शुभ दायक है। व्यक्तिगत कार्यों में सफलता मिलने से मानसिक शांति का अनुभव होगा। कठिन से कठिन कार्य को आप अपने दृढ़ निश्चय से पूरा करने की क्षमता रखेंगे। मित्र मण्डली का सहयोग मिलेगा । गलत का विरोध करने की ताकत बढ़ेगी।
कन्या:आज कुछ समय स्वयं के लिए भी व्यतीत करें। आत्म अवलोकन करने से आपको बहुत अधिक मानसिक शांति अनुभव होगी। तथा कई समस्याओं का समाधान भी मिलेगा। आर्थिक दृष्टि से आज का दिन आपके लिए उपलब्धियां ला रहा है। आध्यात्मिक कार्यों में और अधिक रूचि बनेगी। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
तुला:आप जीवन को सकारात्मक नजरिए से समझने की कोशिश कर रहे हैं जो कि एक बेहतरीन उपलब्धि है। धर्म तथा आध्यात्मिकता के प्रति आपका विश्वास आपके अंदर शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेगा। चुस्त रहने से मन को खुशी मिलेगी और कार्यसिद्धि भी सकारात्मक रहेगी।
वृश्चिक:घर में नवीनीकरण या परिवर्तन संबंधी कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं बनेंगी। इसके लिए वास्तु संबंधी नियमों का पालन करना उचित रहेगा। परिवार में प्रॉपर्टी या अन्य किसी मुद्दे को लेकर जो गलतफहमी चल रही थी, आज वह किसी की मध्यस्थता से हल हो सकती है। आलस्य दूर करने के लिए प्रयासरत रहें।
धनु:आज समय आपके साथ है इसलिए परिणाम भी सकारात्मक रहेगे । पिछले कुछ समय से चल रही समस्याओं का समाधान मिलने से घर का माहौल भी सकारात्मक हो जाएगा। तथा आपसी संबंधों में मजबूती आएगी। काफी समय से कोई रुकी हुई पेमेंट भी मिल सकती है। जिसकी वजह से आर्थिक स्थिति और अधिक बेहतर बनेगी। स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।
मकर:कुछ परिवार संबंधी वाद-विवाद आज निपटने से घर में सुकून और शांति भरा वातावरण रहेगा। मन शान्त रहेगा जिससे आप अपनी व्यक्तिगत गतिविधियों पर और अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। किसी नजदीकी मित्र का सहयोग भी आपके मनोबल व आत्मविश्वास को बनाकर रखेगा। समय अनुकूल रहेगा जिससे मन प्रफुल्लित होगा।
कुंभ:सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्र में आपका वर्चस्व बढ़ेगा। प्रतिष्ठा उच्च होगी । लाभदायक संपर्क सूत्र भी स्थापित होंगे। आज कई प्रकार की गतिविधियों में व्यस्तता बनी रहेगी जिससे थकान हो सकती है फिर भी आप थकान के बावजूद बहुत अधिक खुशी महसूस करेंगे। रोजगार के योग है। स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।
मीन:आज आप ऊर्जा व आत्मविश्वास से युक्त रहेंगे। किसी भी मुश्किल काम को अपने परिश्रम द्वारा हल करने की क्षमता रखेंगे। घर में अविवाहित व्यक्ति के लिए कोई अच्छा रिश्ता आने से घर में उत्सव का सा माहौल रहेगा। स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।मनोरंजन के आसार बनेंगे।
🌞ll ~ वैदिक पंचांग ~ll 🌞
🌤️ दिनांक – 04 अक्टूबर 2022
🌤️ दिन – मंगलवार
🌤️ विक्रम संवत – 2079
🌤️ शक संवत -1944
🌤️ अयन – दक्षिणायन
🌤️ ऋतु – शरद ॠतु
🌤️ मास – अश्विन
🌤️ पक्ष – शुक्ल
🌤️ तिथि – नवमी दोपहर 02:20 तक तत्पश्चात दशमी
🌤️ नक्षत्र – उत्तराषाढा रात्रि 10:51 तक तत्पश्चात श्रवण
🌤️ योग – अतिगण्ड सुबह 11:23 तक तत्पश्चात सुकर्मा
🌤️ राहुकाल – शाम 03:26 से शाम 04:55 तक
🌞 सूर्योदय – 05:31
🌦️ सूर्यास्त – 05:32
👉 दिशाशूल – उत्तर दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण – महानवमी, सरस्वती बलिदान, शारदीय नवरात्र समाप्त
🔥 विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌷 बिना मुहूर्त के मुहूर्त (दशहरा) 🌷
➡ 05 अक्टूबर 2022 बुधवार को विजयादशमी (दशहरा) है।
👉🏻 विजयादशमी का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात् संध्या का समय बहुत उपयोगी है। रघु राजा ने इसी समय कुबेर पर चढ़ाई करने का संकेत कर दिया था कि ‘सोने की मुहरों की वृष्टि करो या तो फिर युद्ध करो।’ रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए। ऐसे ही इस विजयादशमी के दिन अपने मन में जो रावण के विचार हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, भय, शोक, चिंता – इन अंदर के शत्रुओं को जीतना है और रोग, अशांति जैसे बाहर के शत्रुओं पर भी विजय पानी है। दशहरा यह खबर देता है।
👉🏻 अपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था – बिना मुहूर्त के मुहूर्त ! (विजयादशमी का पूरा दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त है अर्थात इस दिन कोई भी शुभ कर्म करने के लिए पंचांग-शुद्धि या शुभ मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं रहती।) इसलिए दशहरे के दिन कोई भी वीरतापूर्ण काम करने वाला सफल होता है।
👉🏻 वरतंतु ऋषि का शिष्य कौत्स विद्याध्ययन समाप्त करके जब घर जाने लगा तो उसने अपने गुरुदेव से गुरूदक्षिणा के लिए निवेदन किया। तब गुरुदेव ने कहाः वत्स ! तुम्हारी सेवा ही मेरी गुरुदक्षिणा है। तुम्हारा कल्याण हो।’
👉🏻 परंतु कौत्स के बार-बार गुरुदक्षिणा के लिए आग्रह करते रहने पर ऋषि ने क्रुद्ध होकर कहाः ‘तुम गुरूदक्षिणा देना ही चाहते हो तो चौदह करोड़ स्वर्णमुद्राएँ लाकर दो।”
👉🏻 अब गुरुजी ने आज्ञा की है। इतनी स्वर्णमुद्राएँ और तो कोई देगा नहीं, रघु राजा के पास गये। रघु राजा ने इसी दिन को चुना और कुबेर को कहाः “या तो स्वर्णमुद्राओं की बरसात करो या तो युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।” कुबेर ने शमी वृक्ष पर स्वर्णमुद्राओं की वृष्टि की। रघु राजा ने वह धन ऋषिकुमार को दिया लेकिन ऋषिकुमार ने अपने पास नहीं रखा, ऋषि को दिया।
👉🏻 विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है और उसके पत्ते देकर एक-दूसरे को यह याद दिलाना होता है कि सुख बाँटने की चीज है और दुःख पैरों तले कुचलने की चीज है। धन-सम्पदा अकेले भोगने के लिए नहीं है। तेन त्यक्तेन भुंजीथा….। जो अकेले भोग करता है, धन-सम्पदा उसको ले डूबती है।
👉🏻 भोगवादी, दुनिया में विदेशी ‘अपने लिए – अपने लिए….’ करते हैं तो ‘व्हील चेयर’ पर और ‘हार्ट अटैक’ आदि कई बीमारियों से मरते हैं। अमेरिका में 58 प्रतिशत को सप्ताह में कभी-कभी अनिद्रा सताती है और 35 प्रतिशत को हर रोज अनिद्रा सताती है। भारत में अनिद्रा का प्रमाण 10 प्रतिशत भी नहीं है क्योंकि यहाँ सत्संग है और त्याग, परोपकार से जीने की कला है। यह भारत की महान संस्कृति का फल हमें मिल रहा है।
👉🏻 तो दशहरे की संध्या को भगवान को प्रीतिपूर्वक भजे और प्रार्थना करें कि ‘हे भगवान ! जो चीज सबसे श्रेष्ठ है उसी में हमारी रूचि करना।’ संकल्प करना कि’आज प्रतिज्ञा करते हैं कि हम ॐकार का जप करेंगे।’
👉🏻 ‘ॐ’ का जप करने से देवदर्शन, लौकिक कामनाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि, साधक की ऊर्जा एवं क्षमता में वृद्धि और जीवन में दिव्यता तथा परमात्मा की प्राप्ति होती है।
🌷 गुस्सा बहुत आता हो तो 🌷
😡 गुस्सा बहुत आता हो तो धरती माता को अर्घ्य देना चाहिये कि माँ मै भी सहनशील बनूँ ….बात बात में गुस्सा न करूँ |
🌞 *~ पंचांग ~* 🌞
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