राज्यपाल संतोष गंगवार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन पर चर्च की
रांची: राज्यपाल-सह-झारखण्ड राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में गुरुवार को राज भवन में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन एवं भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली अनिल कोठारी समेत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अन्य अधिकारीगण एवं राज्य के सभी सरकारी एवं निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति ने भाग लिया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार एक ऐसी शिक्षा नीति बनाई गई है, जो भारत की प्रकृति, संस्कृति, भाषाई विविधता और विकास-यात्रा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। यह नीति केवल शिक्षा सुधार का दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत को ‘ज्ञान की महाशक्ति’ बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह नीति माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘शिक्षा से विकास और कौशल से आत्मनिर्भरता’ के विज़न को मूर्त रूप देती है।
माननीय राज्यपाल ने कहा कि राज्य की उच्च शिक्षा की स्थिति में सुधार लाने हेतु पूर्णतः प्रतिबद्ध हूँ। यदि सभी कुलपतिगण साथ दें, विश्वास है कि झारखंड उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक अनुकरणीय राज्य बन सकता है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार हेतु हर समय उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि अब समय है कि हम समस्याओं पर नहीं, समाधानों पर चर्चा करें और ठोस कदम उठाएँ।
राज्यपाल महोदय ने विश्वविद्यालयों से कहा कि वे NEP-2020 के क्रियान्वयन हेतु प्रभावी टास्क फोर्स का गठन करें, नियमित समीक्षा बैठकें व नीति के विभिन्न पहलुओं पर कार्यशालाओं का आयोजन करें तथा विद्यार्थियों को नीति के लाभों से अवगत कराएँ। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि ज्ञान, व्यक्तित्व विकास और चरित्र निर्माण है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्रों को रटंत प्रणाली से बाहर निकालते हुए नवाचार, कौशल और व्यावहारिक ज्ञान की ओर अग्रसर करती है।
माननीय राज्यपाल ने कहा कि प्राचीन भारत कभी संपूर्ण विश्व के लिए शिक्षा का प्रमुख केन्द्र हुआ करता था। तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला जैसे प्राचीन भारत के विश्वस्तरीय संस्थानों ने शिक्षण एवं शोध के उच्च प्रतिमान स्थापित किए। भारतीय विद्वानों ने गणित, खगोल, धातु, चिकित्सा और योग जैसे क्षेत्रों में संसार को अनुपम योगदान दिया है। भारतीय ज्ञान परंपरा ने सदियों से न केवल भारत, बल्कि सम्पूर्ण विश्व को प्रोत्साहित किया है।
राज्यपाल महोदय ने सभी से झारखंड को एजूकेशन हब के रूप में विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि राज्य में एक ऐसी शैक्षणिक संस्कृति विकसित की जानी चाहिए जहाँ देशभर के विद्यार्थी अध्ययन हेतु आकर्षित हों।
उक्त अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव डॉ० नितिन कुलकर्णी ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय आपस में संवाद करें, ताकि जहाँ किसी संस्थान में नीति के बेहतर क्रियान्वयन के उदाहरण हैं, उन्हें अन्य संस्थानों में भी लागू किया जा सके। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु विस्तृत नहीं, प्रभावी टास्क फोर्स के गठन हेतु कहा। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों से दीक्षांत समारोह में पूर्ववर्ती औपनिवेशिक परिधान के स्थान पर भारतीय परिधान को अपनाने हेतु कहा। विद्यार्थियों को परिधान के लिए राशि भी देना पड़े, ऐसी व्यवस्था नहीं रहना चाहिए।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली श्री अनिल कोठारी ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु क्रियान्वयन समिति (टास्क फोर्स) का पुनर्गठन करें, महाविद्यालयों के कुछ प्राचार्य को भी इसमें रखें तथा विद्यार्थियों का भी टास्क फोर्स हो क्योंकि यह नीति अंततः विद्यार्थियों के हित में है। उन्होंने यह भी कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हर प्रावधान से सभी शिक्षकों और प्रशासनिक पदाधिकारियों को भलीभांति अवगत होना चाहिए, तभी उसका वास्तविक लाभ विद्यार्थियों तक पहुँचेगा। उन्होंने कौशल विकास पर चर्चा करते हुए ‘वोकल फॉर लोकल’ की बात कही।
परिचर्चा के दौरान कुलपतियों ने भी अपने विचार साझा किए और अपने-अपने विश्वविद्यालयों में NEP-2020 के क्रियान्वयन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। इस अवसर पर झारखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, राँची, अरका जैन विश्वविद्यालय, जमशेदपुर, सिदो कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय, दुमका, अमिटि विश्वविद्यालय, राँची, राँची विश्वविद्यालय, राँची, झारखण्ड राय विश्वविद्यालय, राँची, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग, सरला बिरला विश्वविद्यालय, राँची, कोल्हान विश्वविद्यालय, चाईबासा, उषा मार्टिन विश्वविद्यालय, राँची द्वारा पावरपॉइंट के माध्यम से विश्वविद्यालय द्वारा “राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन एवं भारतीय ज्ञान परंपरा” प्रकाश डाला गया।

