बिहार प्रदेश कांग्रेस को चाहिए मल्टीपरपस अध्यक्ष, मैनेजमेंट से लेकर वोट तक का करना होगा प्रबंध
प्रदेश अध्यक्ष के लिए जितनी मुंह उतनी बातें, कई हैं रेस में
उछल रहा है विजय शंकर दुबे, प्रेमचंद्र मिश्र ,किशोर कुमार झा कन्हैया, राजेश कुमार का नाम
पटना: बिहार में कांग्रेस को संजीविनी की तलाश है। संजीवनी के लिए हनुमान की भूमिका में कौन सामने आएगा, इसकी चर्चा जोरों पर हैं। संकट मोचक के लिए कई नाम उछल रहे हैं। लेकिन पार्टी आलाकमान को मल्टीपरपस संकट मोचक चाहिए। जो वोट से लेकर मैनेजमेंट तक का माहिर खिलाड़ी हो। वैसे तो विधायक विजय शंकर दुबे, प्रेमचंद्र मिश्र , किशोर कुमार झा , विधायक राजेश कुमार के साथ कन्हैया का भी नाम उछल रहा है। लेकिन कन्हैया पर थोड़ा असमंजस दिख रहा। क्योंकि दूसरे दल से आने वाले नेता को तुरंत अध्यक्ष पद सौंप देना बिहार कांग्रेस की परिपाटी नहीं रही है। फिर भी बदलाव के दौर से गुजर रही कांग्रेस कन्हैया को प्रदेश अध्यक्ष के उपयुक्त मान रही है।
नए संकट मोचक के लिए वोट बैंक को भी देखना होगा
बिहार में कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए वोट वैंक भी जरूरी है। लेकिन आज की तारीख में कोई ऐसी जाति नहीं है, जिस पर कांग्रेस पूरा दावा कर सके। फिर भी उसे अपने पुराने कोर वोटरों पर भरोसा है। यही कारण है कि सवर्ण, अनुसूचित जाति या मुसलमान में से किसी को अध्यक्ष पद के उपयुक्त माना जाता है।
नए संकटमोचक को अर्थतंत्र को भी करना होगा मजबूत
प्रदेश अध्यक्ष के लिए वोट बैंक के अलावा अर्थतंत्र को भी मजबूत करने की काबिलियत होनी चाहिए। जो वोट के अलावा पार्टी की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सके। प्रदेश में कांग्रेस का स्थापना व्यय महीने का करीब छह लाख रुपये है। ढाई लाख रुपये एआइसीसी देती है। बाकी चार लाख रुपया प्रदेश अध्यक्ष को जुटाना होता है। कर्मचारियों के वेतन, वाहनों के ईंधन, स्वागत-सत्कार और जयंती-पुण्यतिथि के आयोजन यह खर्च होता है।