मेगा स्पोर्ट्स कंपलेक्स घोटालाः ऐसी शर्तें रखी, जिससे खास कंपनियों को हुआ फायदा
विधानसभा की विशेष समिति की गोपनीय रिर्पोट भी कर रही कई ईशारे
सीबीआइ की नजरें अब इस रिर्पोट पर, बिंदुवार हो सकती है जांच
सीबीआई ने दो मामलों में की प्राथमिकी दर्ज
रांचीः झारखंड में हुए 34 वें राष्ट्रीय खेल के लिए तैयार किए गए मेगा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स निर्माण में कई अनियमिताएं हुई हैं। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम के निर्देश पर बनी विशेष कमेटी की रिर्पोट कई बड़ी अनियिमताओं की ओर इशारे भी कर रही है। सीबीआइ की नजर इस रिर्पोट पर भी है। जानकारी के अनुसार सीबीआई ने खेल सामग्री और स्पोर्ट्स कंपलेक्स निर्माण में हुई अनियमितता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है रिर्पोट में इस बात का उल्लेख है कि मेगा स्पोर्टस काम्पलेक्स के निर्माण में रखी गई शर्तों के कारण चुनिंदा संवेदकों को फायदा हुआ। दो निविदा प्रपत्र परामर्शी द्वारा तैयार किया गया। गैर अनुसूचित श्रेणी की सामग्रियों की आपूर्ति के लिए प्रकाशित निविदा में सीमित आपूर्तिकर्ता भाग ले पाए। इससे निविदा में प्रतिस्पर्धा का अभाव रहा और निविदा की दर मोलभाव के दौरान कम नहीं किया। इससे परियोजना की लागत दर में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई। गोपनीय रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि परामर्शी ने निविदा में शिड्यूल रेट निर्धारित करते समय इन सामग्रियों के बाजार भाव का जायजा लिया था अथवा नहीं? अगर उन्होंने बाजार भाव का जायजा लिया था तो बढ़े हुए दर पर निविदादाताओं की शर्तों को क्यों स्वीकार किया?
नागार्जुन कंस्ट्रक्शन का चयन भी संदेह से परे नहीं
रिर्पोट में यह भी कहा गया है खेलगांव के निर्माण के लिए नागार्जुन कंस्ट्रक्शन का चयन भी संदेह के परे नहीं है। यह चयन एकल निविदा के आधार पर हुआ है। इसके लिए जिम्मेदार कंपनी आइएलएफएस के कारण सरकार को डेवलपर्स से केवल साढ़े 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी प्राप्त हो रही है, जबकि बाजार की हिस्सेदारी दर काफी ज्यादा है। आइएलएफएस के उन तर्कों से सहमत होना संभव नहीं है, जिसके आधार पर उसने साढ़े 12 प्रतिशत की हिस्सेदारी को उचित बताया है। आइएलएफएस को सरकार द्वारा दी गई 80 लाख रुपये की अग्रिम राशि को डेवलपर्स के चयन के बाद वापस कर दिया जाना था, लेकिन उसने निविदा शर्तों में इसका उल्लेख नहीं किया जो सरकार के साथ वादाखिलाफी है और उसके अनैतिक और कपटपूर्ण आचरण का द्योतक है।
बढ़ता है चला गया बजट का आकार
31 मई 2006 को स्टेडियम निर्माण के लिए सिंप्लेक्स और नागार्जुना के बीच 18 महीने का करार हुआ था। करार के वक्त यह प्रोजेक्ट 206 करोड़ रुपये का था। तिथि बढ़ने से यह प्रोजेक्ट 377.7 करोड़ का हो गया। फिर एक बार अवधि विस्तार होने से यह प्रोजेक्ट 506 करोड़ रुपये का हो गया। इस दौरान तत्कालीन खेल मंत्री सहित अफसरों पर स्टील बीम, मिट्टी, बालू, चिप्स से लेकर मैनपावर तक में मुनाफा कमाने के आरोप लगे। तत्कालीन राज्य सरकार ने स्टेडियम निर्माण के एवज में 506 करोड़ रुपये खर्च किये। जबकि, कंपनियों को 445 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया। शेष 61 करोड़ रुपये का ब्योरा अब तक न तो सरकार के पास है और न ही एजेंसी के पास। डिप्यूटेड रेट को फाइनल करने के लिए अपीलेट कमिटी भी बनी। इसमें मेकन, सीपीडब्ल्यूडी के सदस्यों को शामिल किया गया था, लेकिन इस कमिटी को कैबिनेट से भी मंजूरी नहीं दी गयी।
ऐसे तय किया गया मनमाना रेट
मैटेरियल सरकारी रेट मनमुताबिक रेट
जेड सेक्शन 8700 रुपये 22 हजार रुपये
एसीटी फ्रेम 6200 रुपये 22 हजार रुपये
बल्ब शेड 6200 रुपये 22 हजार रुपये
सिटिंग अरेंजमेंट 9000 रुपये 22 हजार रुपये
मैनपावर 1800 रुपये 2400 रुपये से अधिक
बालू, चिप्स और ईंट कैरेज रेट (आठ किमी) 22-40 (किमी)