पार्ट टूः सरकार से भी टकरा चुके हैं झारखंड कैडर के आइएएस अफसर
रांचीः झारखंड कैडर के आइएएस अफसरों की सरकार से भी ठनी है। सरकार के साथ आमने-सामने होने पर कई अफसरों ने दिल्ली का भी रूख किया। कई के विभाग बदल दिए गए। गणादेश की ये है खास रिपोर्ट
सीएमओ और एसके सत्पथी के बीच ठनी
21 खनिज खदानों के रद्द करने के मामले में तत्कालीन खान सचिव एसके सत्पथी अड़े रहे. सीएमओ ने कई बार खदानों के लीज नवीनीकरण के लिये कमेटी बनायी. सभी ने रद्द करने की अनुशंसा की। इससे बाद फिर से खान विभाग पर समीक्षा के लिये दबाव बनाया गया. खान सचिव अड़े रहे और 18 खनिज खदानों के लीज रद्द करने की अनुशंसा कर दी। .
पूर्व कृषि मंत्री और कुलकर्णी हो गए आमने-सामने
मंत्रियों की भी आपत्ति रही कि सचिव उनकी बातों को नहीं सुनते हैं। पूर्व कृषि मंत्री रंधीर सिंह और तत्कालीन कृषि सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी के बीच ठनी। कृषि की कई योजनाओं को जल्द से जल्द लागू कराने को लेकर दोनों के बीच नहीं बनी। इस कारण कुलकर्णी को बदल दिया गया।
पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश और एपी सिंह के बीच नहीं बनी
पूर्व पेयजल मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी और तत्कालीन पेयजल सचिव एपी सिंह के बीच ठनी रही। ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को लेकर मंत्री ने कई बार पीत पत्र भी लिखा। इसके बाद एपी सिंह को दूसरे विभाग का सचिव बनाया गया।
सीएमओ और रहाटे भी हुए आमने सामने
अडाणी पावर के बिजली देने के मामले में तत्कालीन ऊर्जा सचिव एसकेजी रहाटे और सीएमओ आमने-सामने हो गए। इसके बाद रहाटे एक माह की छुट्टी पर चले गए। फिर उन्हें ऊर्जा से हटाकरश्रम विभाग में तबादला कर दिया गया।श्रम विभाग से हटाकर उन्हें गृह विभाग की जिम्मेवारी सौंपी गई थी
आइएएस सुनील कुमार और श्रीनिवासन के खिलाफ सबूत नहीं
आइएएस सुनील कुमार और के श्रीनिवासन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। इन दोनों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो झारखंड रांची में पीई संख्या 17/12 दर्ज थी. झारखंड उच्च न्यायालय रांची के आदेशानुसार समान मामले में ब्यूरो में 10 कांड अंकित हुए. इनमें के श्रीनिवासन और सुनील कुमार नामजद अभियुक्त नहीं हैं और न ही अनुसंधान के क्रम में दोनों के विरुद्ध कोई साक्ष्य प्राप्त हुए हैं.
मनोज कुमार और रांची डीसी छविरंजन भी जांच के दायरे में
मनोज कुमार जब नगर निगम में जब मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर थे, उस समय इनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो झारखंड रांची में पीइ संख्या 17/15 अंकित थी इनके के विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई के लिए उनके प्रशासी विभाग के प्रधान सचिव को ब्यूरो द्वारा चार मई 2017 को ही लिखा गया है. वहीं रांची डीसी छवि रंजन के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो झारखंड में निगरानी थाना कांड संख्या 76/15 दिनांक 25.12.2015 दर्ज किया गया है. अनुसंधान के बाद मामले में आरोप पत्र 26 अक्तूबर 2016 को न्यायालय में समर्पित किया गया है.