खानपान व पकवान के मामले में मिथिलांचल का जोड़ नहीं

मिथिलांचल। खानपान व पकवान के मामले में बिहार के मिथिलांचल का जवाब नहीं! मिथिला इलाका सबसे समृद्ध यूं ही नहीं माना जाता है! यहां अतिथि सत्कार की समृद्ध परंपरा है! जिसे आज भी यहां के लोग पूरे मनोयोग से धारण किए हुए हैं। यू तो बिहार के हर एक इलाके में खाने-पीने की कई सारी विविध चीज है!आपको देखने व खाने को मिल जाएंगे।पर मिथिला की थाली में जितने प्रकार के व्यंजन होते हैं! उतने व्यंजनों के नाम बाकी लोग उस इलाके के जानते तक नहीं होंगे। नमकीन मीठा वेज नॉन वेज हर प्रकार के आइटम इसमें शामिल होते हैं। मिथिलांचल इलाके में भोज सिर्फ खाने पीने का समारोह नहीं होता। बल्कि अपनी समृद्धि विरासत को कायम रखने की एक कामयाब कोशिश होती है। मिथिला के भोज में आपको दही मछली तो जरूर मिलेगा। साथ ही साथ मखाना के बने आइटम भी होंगे। यानी मखाना व मछली पूरे मिथिलांचल के इलाके में पर्याप्त मात्रा में मिलती है। यह वहां के भोजन के समृद्ध संस्कृति का हिस्सा भी है। भोजन के बाद मुंह का स्वाद बदलने के लिए पान भी जरूर होगा। शादी समारोह के अलावे इस पूरे क्षेत्र में मुंडन एक बड़ा संस्कार है।जिसमें तमाम तरह के विधि विधान तो शादी वाले ही होते हैं। इसे यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। मिथिलांचल का मूल इलाका सुपौल सहरसा मधुबनी दरभंगा है। पर इसकी खुशबू आपको मधेपुरा शिवहर सीतामढ़ी बेगूसराय समस्तीपुर में भी देखने को मिलती है। यहां के व्यंजन व मिठाइयों के प्रकार कितने ज्यादा हैं! उन्हें अगर प्रमोट किया जाए तो राष्ट्रीय स्तर पर बिहार के स्पेशल फूड आइटम और ज्यादा लोकप्रिय हो सकते हैं। पर मिथिला के लोग बिहार के बाहर चाहे देश के किसी प्रदेश में गए हो या विदेश में अपने खान-पान पकवान भाषा और संस्कृति को आज भी बचाने में सफल रहे है।

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